आवारा सांड और बछड़ों की समस्या से निजात पाने के लिए सरकार फॢटलाइज्ड एग की तकनीक विकसित करे।

आवारा सांड और बछड़ों की समस्या से निजात पाने के लिए सरकार फॢटलाइज्ड एग की तकनीक विकसित करे। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने डेयरी अध्यक्षों को भरोसा दिलाया। दूध पर चार रुपए प्रतिलीटर अनुदान की मांग। सहकारिता के क्षेत्र में शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता समाप्त हो।

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बजट पूर्व जनसंवाद के अंतर्गत 24 जून को अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र चौधरी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जयपुर स्थित सचिवालय में मुलाकात की। इस अवसर पर चौधरी के साथ जोधपुर डेयरी के अध्यक्ष रामलाल विश्नोई और जयपुर डेयरी के अध्यक्ष ओम पुनिया भी थे। चौधरी ने सीएम गहलोत के समक्ष पशुपालकों और डेयरी कर्मचारियों की समस्याओं को विस्तार से रखा। चौधरी ने आवारा सांड और बछड़ों की प्रदेशव्यापी समस्या को सीएम के सामने रखते हुए कहा कि इस समस्या से निजात पाने के लिए प्रदेश में ईएमबीआरवाईओ ट्रांसवर टेक्नॉलॉजी को विकसित किया जाए। इस टेक्नोलॉजी के अंतर्गत फर्टिलाइाज्ड एग प्रत्यारोपित किया जाता है, जिससे बछड़ी ही उत्पन्न होती है। जब बछड़े उत्पन्न नहीं होंगे तो आवारा पशुओं से अपने आप निजात मिल जाएगी। चौधरी ने फर्टिलाइज एग पर अनुदान देने की भी मांग की। सीएम गहलोत ने कहा कि इस तकनीक का अध्ययन करवाने के बाद जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। सीएम ने भी माना कि शहरी क्षेत्र में आवारा सांडों और बछडों की वजह से नागरिकों खास कर बुजुर्गों को परेशानी होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में फसलों को नुकसान पहुंचता है।
शैक्षणिक अनिवार्यता समाप्त हो: 
डेयरी प्रतिनिधियों ने सीएम से मांग की कि जिस प्रकार पंचायतीरात और स्थानीय निकाय संस्थाओं के चुनावों में शैक्षणिक योग्यता को समाप्त किया गया है, उस प्रकार सहकारी संस्थाओं के चुनाव में भी शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता खत्म की जाए। मौजूदा समय में ग्रामीण क्षेत्रों में 9वीं तथा जिला स्तर पर 10वीं कक्षा उत्त्तीर्ण होना अनिवार्य रखा गया है। इससे अनुभवी जनप्रतिनिधियों का चुनाव नहीं हो पा रहा है।  चौधरी ने सीएम को बताया कि वर्ष 1985 के बाद प्रदेशभर की डेयरियों में भर्ती नहीं हुई है। यही वजह है कि अब मात्र 18 प्रतिशत कर्मचारी ही शेष बचे हैं। चौधरी ने मांग की कि एनडीडीबी के माध्यम से तकनीक स्टाफ की भर्ती करवाई जावे। चौधरी ने डेयरियों में रखे जा रहे अनुबंधित कर्मचारियों की समस्याओं को भी रखा। पूर्व में अनुबंध पर कर्मचारियों को छठे वेतनमान के अनुरूप पारीश्रमिक दिया जा रहा था, लेकिन सातवें वेतन आयोग में पारीश्रमिक की राशि आधी कर दी गई है। इससे अब डेयरियों में अनुबंध पर भी कर्मचारी उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। मौजूदा कर्मचारियों ने इस्तीफा दे रखा है। चौधरी ने यह भी मांग की कि जिस प्रकार डॉक्टरों की सेवा निवृत्ति की उम्र 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष की गई है उसी प्रकार डेयरी में काम करने वाले तकनीकी स्टाफ के रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष की जाए।
जीएसटी के साथ मंडी टैक्स:
डेयरी प्रतिनिधियों ने सीएम को बताया कि राजस्थान एक मात्र ऐसा प्रदेश है जहां घी पर जीएसटी के साथ साथ मंडी टैक्स भी वसूला जाता है। प्रदेश भर में 12 करोड़ रुपए मंडी टैक्स के तौर पर सरकार को जमा करवाए जाते हैं। चौधरी ने यह भी मांग की कि जीएसटी को भी पांच प्रतिशत के दायरे में लाया जाए। मौजूदा समय में घी पर 12 प्रतिशत जीएसटी लिया जा रहा है। जिसकी वजह से प्रतिलीटर 26 रुपए अधिक देने होते हैं। इससे डेयरी कारोबार को भारी नुकसान हो रहा है। चौधरी ने सीएम से आग्रह किया कि पशुपालकों को दो रुपए अनुदान की बजाए चार रुपए प्रतिलीटर का अनुदान उपलब्ध करवाया जाए। ताकि राजस्थान दुग्ध डेयरियां अमूल और पायस जैसी डेयरियों से मुकाबला कर सके। सीएम को बताया गया कि अमूल और पायस जैसी डेयरियां राजस्थान से दूध संग्रहित कर दिल्ली में ऊंची कीमत पर बेचती हैं। देश के कई राज्यों में पशुपालकों को चार रुपए प्रति लीटर का अनुदान मिल रहा है। चौधरी ने नए प्रोसेसिंग प्लांट के ऋण की ब्याज राशि का भुगतान राज्य सरकार से करवाने की मांग की। ऐसा कई राज्यों में हो रहा है।
मोलासिस पर टैक्स कम करने की मांग:
चौधरी ने मांग की कि पशु आहार के निर्माण में काम आने वाले मोलासिस पर टैक्स कम किया जाए। मौजूदा समय में 32 प्रतिशत टैक्स वसूला जा रहा है। इससे पशु आहार की लागत ज्यादा आ रही है। इसी प्रकार एफसीआई के गोदामों में खराब होने वाले फूडग्रेन को सस्ती दर पर पशु आहार संयंत्रों को उपलब्ध करवाया जाए। इसके लिए राज्य सरकार एफसीआई की नीलामी में भाग ले। उन्होंने पशु बीमा कानून को भी लागू करने की मांग की।
एस.पी.मित्तल) (24-06-19)
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