गहलोत सरकार के एक वर्ष के जश्न के नाम पर हो रही है जनता के पैसों की बर्बादी।
गहलोत सरकार के एक वर्ष के जश्न के नाम पर हो रही है जनता के पैसों की बर्बादी।
एक कार्यक्रम के दो दो विज्ञापन।
सचिन पायलट की गैर मौजूदगी भी चर्चा का मुद्दा।
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राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार के एक वर्ष पूरा होने पर इन दिनों सरकारी खर्चे पर जश्न मनाया जा रहा है। 17 दिसम्बर से ही रोजाना कुछ न कुछ कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों के विज्ञापन भी रोजाना अखबारों में छप रहे हैं। 19 दिसम्बर को भी सरकार की ओर से तीन विज्ञापन दैनिक अखबारों में छपे हैं। आधे आधे पृष्ठ के इन विज्ञापनों पर करोड़ों रुपए का भुगतान करना पड़ेगा। 19 दिसम्बर को ऊर्जा और उद्योग विभाग के दो अलग अलग विज्ञापन छपे हैं, जबकि कार्यक्रम एक ही है। ऊर्जा विभाग के विज्ञापन में बताया गया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 19 दिसम्बर को प्रात: साढ़े दस बजे जयपुर के बिड़ला सभागार में राजस्थान सौर ऊर्जा नीति 2019 और राजस्थान पवन एवं हाईब्रिड ऊर्जा नीति 2019 का विमोचन करेंगे। इसी प्रकार उद्योग विभाग की ओर से एक अन्य विज्ञापन में कहा गया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बिड़ला सभागार में प्रात: दस बजे औद्योगिक विकास नीति 2019 आदि का विमोचन करेंगे। उद्योग विभाग के इस विज्ञापन में ऊर्जा विभाग की दोनों नीतियों का भी उल्लेख है। यानि जो जानकारी एक विज्ञापन से दी जा सकती थी, उसे दो विज्ञापनों में दिया गया। जाहिर है कि एक वर्ष की उपलब्धियों के नाम पर अलग अलग विज्ञापन देकर प्रदेश की जनता को गुमराह किया जा रहा है। यदि नीतियों की पुस्तकों का विमोचन ही उपलब्धि हैं तो फिर ऐसी उपलब्धियों पर भी विचार किया जाना चाहिए। अलग अलग विभागों के कार्यक्रमों पर भी करोड़ों रुपए खर्च हो रहा है। जिन आईएएस अधिकारियों को अच्छी पोस्टिंग मिल गई है उनकी पांचों अंगुलियां घी में हैं। सरकार के एक वर्ष के जश्न के नाम पर जनता के पैसों की बर्बादी की जा रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले ही कह चुके हैं कि सरकार का प्रचार प्रसार करने वाले न्यूज चैनलों एवं अखबारों को ही विज्ञापन दिए जाएंगे। मीडिया सरकार को गालियां भी दे और हम विज्ञापन भी देते रहे, अब ऐसा नहीं चलेगा। मुख्यमंत्री की इस खुली धमकी के बाद अखबार और न्यूज चैनल वाले भी सिर्फ विज्ञापन बंटोरने में लगे हैं। जब एक ह कार्यक्रम के दो दो विज्ञापन मिलेंगे तो अखबार वालों की आंखें तो बंद ही रहेंगी। अशोक गहलोत अब राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं, इसलिए कुछ भी कह और कर सकते हैं।
पायलट की गैर मौजूदगी:
एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर जश्न मनाने में गहलोत सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है, लेकिन वहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट की गैर मौजूदगी चर्चा का विषय बनी हुई है। सरकार के किसी भी कार्यक्रम में पायलट शामिल नहीं हो रहे हैं। 19 दिसम्बर को मुख्यमंत्री गहलोत ने एमएनआईटी परिसर में राजस्थान इनोवेशन एंड स्टार्रअप एक्सपो का शुभारंभ भी किया। इस सम्मेलन का आयोजन सचिन पायलट के अधीन आने वाले डिपर्टमेंट ऑफ इंफोरमेशन टैक्नोलॉजी एंड कम्यूनिकेशन की ओर से किया गया था। इस कार्यक्रम का विज्ञापन भी 19 दिसम्बर को ही अखबरों में प्रकाशित हुआ है। लेकिन विज्ञापन में मंत्री की हैसियत से पायलट के नाम का उल्लेख नहीं है, जबकि ऊर्जा उद्योग आदि के कार्यक्रमों में संबंधित मंत्रियों के नाम प्रकाशित करवाए गए हैं। जाहिर है कि पायलट और सरकार के बीच पटरी नहीं बैठ रही है। आमतौर पर सरकार के जश्न में सत्तारूढ़ पार्टी की भी भूमिका होती है, लेकिन राजस्थान में सरकार के जश्न में कांग्रेस पार्टी और प्रदेशाध्यक्ष की कोई भूमिका नहीं है। पायलट तो डिप्टी सीएम की हैसियत से भी सरकार के जश्न में शामिल नहीं हो रहे हैं। अभी तक भी पार्टी स्तर पर सरकार की उपलब्धियों को लेकर कोई कार्यक्रम नहीं हुआ है। विगत दिनों दिल्ली में आयोजित भारत बचाओ रैली में भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी भी मुख्यमंत्री गहलोत ने स्वयं ले ली थी। कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की बैठक तक मुख्यमंत्री के सरकारी आवास में रखी गई। पायलट की मौजूदगी में गहलोत ने कहा कि वे स्वयं भीड़ पर निगरानी का काम करेंगे। राजस्थान से जुटी भीड़ को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान भी गहलोत से खुश रहा। यही वजह है कि अब अशोक गहलोत अपने ही दम पर सरकार का जश्न मना रहे हैं।
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