सचिन पायलट बताएं कि दिल्ली में अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात हुई या नहीं। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने एक फिर पायलट को कटघरे में खड़ा किया। आखिर कांग्रेस के कितने विधायक भाजपा के सम्पर्क में हैं?

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने एक बार फिर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को कटघरे में खड़ा कर दिया है। 5 दिसम्बर को सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि जुलाई-अगस्त में कांग्रेस के जो 19 विधायक दिल्ली गए थे, उन्होंने केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की थी। मेरी सरकार गिराने का जो षडयंत्र जुलाई अगस्त में हुआ वैसा ही षडयंत्र अब एक बार फिर से हो रहा है। गहलोत का 5 दिसम्बर का यह बयान इसलिए भी मायने रखता है कि सचिन पायलट इन दिनों दिल्ली में ही हैं। चूंकि गहलोत मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हुए हैं,इसलिए उनकी बात पर भरोसा करना ही चाहिए। गहलोत के पास पुख्ता जानकारी होगी, तभी ऐसा सनसनीखेज बयान दिया है। गहलोत की सरकार फिर से गिराने के षडयंत्र के बारे में तो आने वाले दिनों में खुलासा होगा, लेकिन अब सचिन पायलट को यह बताना चाहिए कि जुलाई अगस्त में अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात हुई या नहीं। गहलोत ने पायलट पर सीधा हमला किया है क्योंकि पायलट का बार बार सही कहना रहा कि जुलाई अगस्त में कांग्रेस के 18 विधायक कांग्रेस हाई कमान को अपनी बात कहने के लिए दिल्ली गए थे। पायलट ने भाजपा से मिली भगत के आरोपों का हमेशा खंडन किया, लेकिन सीएम गहलोत के ताजा बयान ने पायलट की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगा दिया है। पायलट अपनी बात स्पष्ट रूप से कहने वाले नेता माने जाते हैं। सीएम ने साफ कहा कि यदि सचिन पायलट, विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा को मंत्री पद से बर्खास्त नहीं किया जाता तो कांग्रेस की सरकार गिर जाती। यानि सरकार गिराने के षडयंत्र के लिए सीएम ने सीधे सचिन पायलट को जिम्मेदार माना है। सीएम गहलोत सचिन पायलट को पहले ही गद्दार, धोखेबाज, नकारा आदि कह चुके हैं। इन शब्दों के लिए गहलोत ने कभी भी खेद प्रकट नहीं किया है। पायलट अब कितना भी दावा करें कि जुलाई अगस्त में कांग्रेस के विधायक हाईकमान को अपनी बात कहने गए थे लेकिन सीएम ने साफ कर दिया है कि पायलट और उनके साथ दिल्ली गए विधायक अपनी ही सरकार को गिराने गए थे। पायलट और कांग्रेस के विधायक भाजपा नेताओं से मिले हुए थे। सीएम गहलोत की यह बात भी मायने रखती है कि कांग्रेस विधायकों से मुलाकात के समय केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सुप्रीम कोर्ट ओर हाईकोर्ट के न्यायाधीशों से मोबाइल पर बात करने का नाटक किया, ताकि बागी विधायकों का हौंसला बढ़ाया जा सके। यहां यह उल्लेखनीय है कि जुलाई में सचिन पायलट सहित जो 19 विधायक दिल्ली गए थे, उन्हें विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने सस्पेंड कर दिया था, तब इन विधयकों का विधायक पद खतरे में पड़ गया था। तभी यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सीएम गहलोत ने किसी कानूनी विवाद से बचने के लिए धर्मेंद्र प्रधान पर न्यायाधीशों से बात करने का नाटक करने की बात कही हो, लेकिन सीएम का यह कथन भी अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। सीएम गहलोत पहले भी न्यायिक व्यवस्था पर सवाल उठा चुके हैं। सीएम का कहना है कि उनकी सरकार को गिराने का षडयंत्र फिर से हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस बार कांग्रेस के कितने विधायक भाजपा के सम्पर्क में हैं? पिछली बार तो गहलोत ने राजस्थान की सीमाओं को सील कर दिया था, ताकि विधायक दिल्ली नहीं भाग सके। हालांकि सील करने से पहले ही 19 विधायक दिल्ली चले गए थे। इस बार तो सीएम गहलोत कुछ ज्यादा ही सतर्क हैं। इसलिए एक एक विधायक पर नजर रखी जा रही है। जुलाई अगस्त में जो 100 विधायक 34 दिनों तक होटलों में बंद रहे, उन सभी से सीएम स्वयं बात कर रहे हैं। इन विधायकों की हर समस्या का समाधान प्रभावी तरीके से किया जा रहा है। सीएम के ताजा बयान ने राजस्थान की राजनीति में गर्मी ला दी है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (06-12-2020)

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