पीएम मोदी ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को भारत की अमूल्य धरोहर बताया। स्वच्छ भारत मिशन जैसे अभियान के कारण स्कूलों में मुस्लिम बच्चियों की ड्रॉपआउट रेट कम हुई। भेदभाव के बिना मिल रहा है सरकारी योजनाओं का लाभ। वैचारिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन राष्ट्रवाद हर नागरिक के लिए जरूरी है।

22 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से संबोधित किया। सब जानते हैं कि इस यूनिवर्सिटी में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने, नागरिकता संशोधित कानून बनाने, तीन तलाक प्रथा पर रोक लगाने जैसे निर्णयों का विरोध होता रहा है। छात्रों का एक वर्ग देश विरोधी नारे लगाने में भी शामिल रहा है। ऐसे ही कुछ छात्रों ने प्रधानमंत्री के 22 दिसम्बर के संबोधन का भी विरोध किया। यूनिवर्सिटी के ऐसे माहौल के बीच ही पीएम मोदी ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को भारत की अमूल्य धरोहर बताया। पीएम का चालीस मिनट का भाषण यूनिवर्सिटी की उपलब्धियाँ गिनाने और बिना भेदभाव के सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने पर केन्द्रीय रहा। यूनिवर्सिटी कैम्पस का माहौल कैसा भी रहा हो, लेकिन पीएम मोदी ने माना कि इस यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी भारत को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि सियासत और समाज इंतजार कर सकता है, लेकिन देश का विकास इंतजार नहीं कर सकता। आज सरकार बिना भेदभाव के नागरिकों को सुविधाएं उपलब्ध करवा रही है। 40 करोड़ नागरिकों के बैंक खाते, 8 करोड़ महिलाओं को रसोई गैस कनेक्शन, 2 करोड़ परिवार को पक्के मकान, 50 करोड़ परिवार को आयुष्मान भारत बीमा योजना का लाभ तथा कोरोना काल में 80 करोड़ ज़रूरतमंद लोगों को नि:शुल्क राशन सामग्री का लाभ दिया गया। पीएम ने बताया कि स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत एक करोड़ स्कूलों में शौचालाय बनवाए गए। इसका परिणाम यह रहा कि मुस्लिम बच्चियों का स्कूल से ड्रॉपआाउट रेट बेहद कम हो गया। पहले ड्रॉप आउट रेट 70 प्रतिशत थी, लेकिन अब यह घटकर 30 प्रतिशत रह गई है। इससे जाहिर होता है कि मुस्लिम बच्चियां पढऩे को उत्सुक हैं। मुस्लिम बच्चियों को सिर्फ स्कूल तक ही नहीं, बल्कि उच्च शिक्षा दिलाने का उद्देश्य होना चाहिए। पीएम मोदी ने इस बात पर खुशी जताई कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मुस्लिम छात्राओं की संख्या 35 प्रतिशत हो गई है। कोरोना काल में यूनिवर्सिटी से जुड़े लोगों ने ज़रूरतमंदों की मदद की। वहां तक पीएम केयर फंड में भी राशि जमा करवाई। उन्होंने कहा कि वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन हर नागरिक के लिए राष्ट्रवाद जरूरी है। इस यूनिवर्सिटी से निकले छात्र आज दुनियाभर में छाए हुए हैं। पाकिस्तान में भी बड़ी संख्या में पूर्व छात्र हैं। देश के स्वतंत्रता आंदोलन में सामूहिक प्रयास हुए थे, आज आत्म निर्भर भारत के निर्माण के लिए भी संयुक्त प्रयासों की जरुरत है। मोदी ने शताब्दी वर्ष के मौके पर यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों से कहा कि वे उन स्वतंत्रता सैनानियों की तलाश करें, जिनका नाम प्रकाश में नहीं आया है। यूनिवर्सिटी में लाखों पुस्तकें हैं, उन्हीं के आधार पर शोध किए जाएं, इसी प्रकार जो अमूल्य पांडुलिपियां हैं, उनका डिजिटलाइजेशन किया जाए। मोदी के संबोधन से पहले यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर तारीक मंसूर ने केन्द्र सरकार की नई शिक्षा नीति की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में भी सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास उद्देश्य से ही काम हो रहा है। यूनिवर्सिटी के लिए यह गर्व की बात है कि शताब्दी समारोह के मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि 1964 में एक समारोह में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री इस यूनिवर्सिटी में गए थे। 1964 के बाद यह पहले अवसर रहा, जब कोई प्रधानमंत्री इस यूनिवर्सिटी के समारोह में शामिल हुआ है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (22-12-2020)
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