हमारे जवान लद्दाख सीमा पर चीन से मुकाबला करें या फिर देश की राजधानी दिल्ली को हंगामे से बचाने के लिए सड़कों को कीलें लगाएं? देश बहुत नाजुक दौर से गुजर रहा है। देशवासियों को हालातों को समझना होगा। किसान आंदोलन तो बहाना है।
2 फरवरी को एक साथ दो खबरें सामने आईं। पहली खबर में बताया गया कि लद्दाख सीमा पर दुश्मन देश चीन ने सैन्य ताकत बढ़ा दी है। यानि सीमा पर सशस्त्र जवानों के साथ तोप, टैंक आदि सैन्य सामग्री तैनात कर दी है। दूसरी खबर में बताया गया कि देश की राजधानी दिल्ली को 26 जनवरी जैसे हंगामे से बचाने के लिए दिल्ली की सीमाओं की सड़कों पर कीलें लगा दी गई हैं। सीमेंट की दीवार लोहें के बैरीकेडिंग, कंटीलें तार से लेकर सशस्त्र जवान तक तैनात किए गए हैं। इन दो खबरों को सुनने के बाद ही सवाल उठता है कि हमारे जवान भी लद्दाख सीमा पर चीन से मुकाबला करें या देश की राजधानी दिल्ली को हंगामे से बचाएं? दुनिया के ज्यादातार देशों में यह देशभक्ति होती है कि जब कोई दुश्मन देश सीमा पर धमकाता है तो देश के अंदर सारी आबादी एकजुट हो जाती है। ताकि सीमा पर तैनात जवान को यह भरोसा दिलाया जाता है कि पूरा देश एकजुट हैं। जवान भी जब अपने देश की एकजुट देखता है और मजबूती के साथ देश की सीमा की रक्षा करता है। जवान को यह पता होता है कि यदि वह मुस्तैद नहीं रहेगा तो दुश्मन देश के सैनिक हमारे देश में घुसकर नागरिकों का सुख चैन छीन लेंगे। लेकिन भारत में उल्टा हो रहा है। जब चीन हमें लद्दाख सीमा पर चुनौती दे रहा है, तब हमारे जवानों को देश के अंदर ही राजधानी को बचाने के लिए युद्ध जैसी तैयारियां करनी पड़ रही है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस आंतरिक स्थिति का सीमा पर खड़े जवान पर कैसा असर पड़ेगा? सवाल किसान आंदोलन का नहीं है। अहम सवाल आंदोलन के नाम पर हो रही राजनीति का है। चूंकि भारत में लोकतंत्र है और पार्टी सत्ता में होती है, उसका विरोध भी होता है। इसीलिए नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का विरोध हो रहा है। लोकतंत्र में विरोध से इंकार नहीं है, लेकिन विरोध के नाम पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान हो और राजधानी में अराजकतत्व हिंसा फैलाई जाए तो फिर सवाल तो उठेंगे ही। तीन कृषि कानूनों पर सवार अपनी ओर से कई बार सफाई दे चुकी है। एक फरवरी को संसद में प्रस्तुत बजट में ही सरकार ने किसानों के कल्याण के बारे में अनेक घोषणाएं की है। पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लगाकर किसानों को फायदा पहुंचाने की बात कही गई है। लेकिन इसके बावजूद भी किसानों की आड़ में आंदोलन जारी है। 26 जनवरी को दिल्ली में हंगामे के बाद अब कहा जा रहा है कि 6 फरवरी को चार घंटे के लिए देश भर में नेशनल हाइवे जाम किए जाएंगे। 6 फरवरी को सड़कों पर कितना हंगामा होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है। आंदोलन की आड़ में हजारों लोग दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं तो संसद में विपक्षी सांसद हंगामा कर रहे हैं। देशवासियों को मौजूदा हालातों को समझने की जरुरत है। हम सब जानते हैं कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से भारत लम्बे समय तक त्रस्त रहा। चाहे मुम्बई में 26/11 की घटना हो या फिर देश के प्रमुख शहरों में सीरियल ब्लास्ट लेकिन जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के बोल्ड फैसले के बाद आतंकवादी घटनाओं पर लगात लग गई। आज कश्मीर के लोग चैन की सांस ले रहे हैं। दुनिया माती है कि आतंकवाद को कम करने में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन पाकिस्तान के चुप बैठने के बाद चीन लगातार सीमा पर हमें चुनौती दे रहा है। जब हम चीन जैसे तानाशाह देश का मुकाबला कर रहे हैं, तब लोकतंत्र के नाम पर हमारे देश में अराजकता फैलाई जा रही है। आज दिल्ली की रक्षा नहीं बल्कि सीमा पर चीन से देश की रक्षा की जरुरत है। देशवासी इस नाजुक स्थिति को समझे और उन तत्वों को पहचाने जो देश का माहौल खराब करना चाहते हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (02-02-2021)
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