ग्रेटा थनबर्ग पद दिल्ली पुलिस की कार्यवाही को लेकर कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने केन्द्र सरकार पर निशाना साधा। राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार ने अपने ही डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित 18 विधायकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया था। चिंदबरम को राजस्थान के कांड का पता होगा तो ग्रेटा का समर्थन नहीं करते।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी.चिदंबरम का 6 फरवरी को एक ट्वीट सामने आया है। इस ट्वीट में स्वीडन पर्यावरण कार्यकर्ता गेटाथनबर्ग पर दिल्ली पुलिस की कार्यवाही को लेकर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर निशाना साधा गया है। चिदंबरम का मानना है कि मोदी सरकार 18 वर्षीय गे्रटा के ट्वीट से डर गई है, इसलिए दिल्ली पुलिस ने किसान आंदोलन में हुई हिंसा के जांच के दायरे में ग्रेटा के ट्वीट को भी शामिल किया है। ग्रेटा के ट्वीट के बारे में बहुत कुछ छप चुका है। सब जानते हैं कि देश विरोधी ताकतों के साथ मिलकर ग्रेटा ने किस तरह लोगों को 26 जनवरी की हिंसा के लिए उकसाया। लेकिन यदि चिदंबरम को राजस्थान के कांड के बारे में पता होता तो शायद ऐसी टिप्पणी नहीं करते। सब जानते हैं कि गत वर्ष 11 जुलाई को जब राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 विधायक दिल्ली चले गए थे, तब अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर लिया था और इसी प्रकरण में अपनी ही सरकार क डिप्टी सीएम सचिन पायलट और कांग्रेस के विधायकों को नोटिस भी जारी कर दिए गए। तब राजस्थान पुलिस के वफादार अधिकारी और बहादुर जवानों ने दिल्ली में जमकर छापामारी की , ताकि सचिन पायलट और विधायकों को पकड़ा जा सके। अपनी पार्टी के मंत्रियों और विधायकों के दिल्ली जाने को देशद्रोह की दृष्टि से देखा गया, जबकि कांग्रेस के विधायकों ने देशद्रोह जैसा कोई काम नहीं किया, लेकिन तब राजस्थान पुलिस को लगा कि अशोक गहलोत के विरुद्ध बगावत करना ही देशद्रोह है। प्रदेश की जनता जानती है कि सरकार बचाने के लिए कोरोना की आड़ लेकर जिस तरह प्रदेश की सीमाओं को सील किया गया। ग्रेटा थनबर्ग ने तो उकसाने वाली कार्यवाही की है, लेकिन फिर भी देशद्रोह के मुकदमे में नोटिस जारी कर दिए गए। यदि जुलाई 2020 में राजस्थान में हुई पुलिीस की कार्यवाही जायज थी तो फिर ग्रेटा को लेकर दिल्ली पुलिस की कार्यवाही पर कांग्रेस को क्यों ऐतराज है? असल में कांग्रेस के नेताओं को अपनी ही पार्टी के नेताओं के कांडों की जानकारी नहीं होती है। चिदंबरम चाहे तो यह भी पता कर सकते हैं कि जुलाई-अगस्त में राजस्थान में जो अधिकारी मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनात रहे, उन्हें अशोक गहलोत ने किस तरह से उपकृत किया है। देशद्रोह के मुकदमें में जिन अधिकारियों ने सचिन पायलट और कांग्रेस के विधायकों पर शिकंजा कसा, वो अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद भी महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हैं तथा जूनियर अधिकारी मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनात हुए हैं। चिदंबरम को ग्रेटा थनबर्ग का समर्थन करने से पहले अपनी ही पार्टी के शासन वाले राजस्थान की पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की गतिविधियों का अध्ययन कर लेना चाहिए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (06-02-2021)

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