वैट की अधिकता के विरोध में पेट्रोल पंप बंद। 5 अप्रैल को फलौदी से फरार 16 कैदियों का अभी तक सुराग नहीं। 8 अप्रैल से पुजारी शंभू का शव दरवाजे के बाहर पड़ा है। आखिर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने गिरेबां में क्यों नहीं झांकते?
8 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब कोरोना संक्रमण पर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों से वर्चुअल संवाद किया तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लीक से हट कर तीन कृषि कानूनों का मुद्दा उठा दिया। कांग्रेस शासित प्रदेश के सीएम गहलोत अक्सर ऐसा करते हैं। गहलोत कई बार प्रधानमंत्री मोदी को लेकर भी प्रतिकूल टिप्पणी करते हैं, लेकिन गहलोत स्वयं कभी भी अपने प्रदेश की स्थिति को नहीं देखते। 10 अप्रैल को राजस्थान भर में पेट्रोल पंप बंद रहे। राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनीत बगई का कहना है कि पड़ौसी प्रदेश पंजाब, हरियाणा दिल्ली, यूपी, एमपी और गुजरात से ज्यादा वैट होने के कारण राजस्थान में पेट्रोल डीजल की बिक्री कम हो रही है। रास्थान में पेट्रोल 36 प्रतिशत और डीजल 26 प्रतिशत वैट राज्य सरकार वसूलती हैं। इससे प्रदेश में पड़ौसी राज्यों की तुलना में पेट्रोल डीजल 5 से 10 रुपया प्रति लीटर महंगा बिकता है। राजस्थान से सटे पड़ौसी राज्यों में जाने वाले वाहन उन्हीं राज्यों में तेल भरवाते हैं। कांग्रेस शासित प्रदेश पंजाब में पेट्रोल पर 25 प्रतिशत तथा डीजल पर 16 प्रतिशत वैट है। गुजरामें तो राज्य सरकार दोनों पदार्थों पर 20-20 प्रतिशत ही वैट ही लेती हैं। यूपी जैसे बड़े प्रदेश में भी पेट्रोल पर 26 तथा डीजल पर 17 प्रतिशत वैट ही लगता है। अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार को भी चाहिए कि प्रदेश में वैट के प्रतिशत में कमी की जाए। इससे तेल की बिक्री बढ़ेगी और राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान भी नहीं होगा। 10 अप्रैल को प्रदेशभर में पेट्रोल पंप बंद रहने से लोगों को भारी परेशानी हुई। डीजल का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों के साथ साथ किसान भी करते हैं। क्या अशोक गहलोत तेल पर वैट कम कर लोगों खास कर किसानों को राहत नहीं दे सकते? गहलोत बताएं कि पड़ौसी राज्यों से ज्यादा वैट क्यों वसूला जा रहा हे? कोरोना संक्रमण के संवाद में गहलोत कृषि कानूनों का मुद्दा उठाएं यह उनकी सोच है, लेकिन 5 अप्रैल को जोधपुर की फलौदी जेल से जो 16 कैदी फरार हुए, उनका अभी तक भी पता नहीं चला है। एक साथ 16 कैदियों के भागने की घटना अपने आप में गंभीर है, लेकिन एक सप्ताह बाद भी यदि कैदियों का सुराग नहीं चले तो पुलिस की होशियारी और सतर्कता पर सवाल उठते हैं। यदि एक दो कैदी फरार हो जाते तो माना जा सकता है कि किसी स्थान पर छिप कर बेठ गए होंगे, लेकिन 61 कैदियों का सुराग नहीं मिला, पुलिस के शर्म की बात है। इस स्थिति की जिम्मेदारी अशोक गहलोत की ही है, क्योंकि गृह विभाग का प्रभार भी मुख्यमंत्री के पास ही है। यह भी गंभीर स्थिति है कि सरकार गठन के ढाई वर्ष बाद भी पूर्णकालिक गृहमंत्री नहीं है। इतना ही नहीं गत 8 अप्रैल से अशोक गहलोत के सरकारी आवास के निकट महवा (दौसा) के पुजारी शंभू नाथ का शव पड़ा है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। यदि सशस्त्र पुलिस नहीं हो तो शव को जयपुर शव को सीएम के सरकारी आवास के बाहर रख दिया जाए। पुजारी शंभू की मौत 2 अप्रैल को हुई थी, लेकिन आरोपी अभ तक नहीं पकड़े गए हैं। इससे प्रदेश की कानून व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रदेश में कोरोना वैक्सीन की कमी बता कर 10 अप्रैल को प्रदेश में कई सेंटरों पर वैक्सीन नहीं लगाई गई। यह दूसरा अवसर है जब वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया को रोका गया है। कोरोना को लेकर गहलोत सरकार शुरू से ही राजनीति कर रही है। अच्छा हो कि सीएम गहलोत अपने प्रदेश की स्थिति का भी जायजा ले लें। S.P.MITTAL BLOGGER (10-04-2021)
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