आखिर महिला दिवस पर हम क्या सीख ले रहे हैं? कितना उचित है स्कूल-कॉलेज में लड़कियों का बॉयफ्रेंड होना।

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आखिर महिला दिवस पर हम क्या सीख ले रहे हैं? कितना उचित है स्कूल-कॉलेज में लड़कियों का बॉयफ्रेंड होना।
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हो सकता है कि मेरा यह ब्लॉग उन लोगों को पसन्द न आए जो किसी भी सीमा तक महिलाओं की स्वतंत्रता चाहते हैं। ऐसा नहीं कि मैं महिलाओं की स्वतंत्रता के खिलाफ हूं। मैं भी चाहता हूं आधी आबादी पुरूषों के समान स्वतंत्र होकर काम करे। लेकिन मेरा मानना है कि महिलाओं की स्वतंत्रता एक सीमा तक ही अच्छी लगती है। आठ मार्च को जब देश-दुनिया महिला दिवस मना रही है, तब मैंने यह सवाल उठाया है कि आखिर हम इस दिन से क्या सीख ले रहे हैं? क्या कुछ सफल महिलाओं का चेहरा आगे रख कर सिर्फ प्रेरणा लेना ही महिला दिवस की सफलता है? हमें किसी अच्छे और सफल व्यक्ति के जीवन से प्रेरणा तो लेनी ही चाहिए, लेकिन भारत में इस समय सबसे बड़ी समस्या स्कूल-कॉलेजों में पढऩे वाली लड़कियों के जीवन को लेकर है। शायद ही कोई माता-पिता होंगे जो अपनी बेटी की चिंता न करता हो। बेटी, माता-पिता वाले शहर में पढ़े या उच्च शिक्षा के लिए किसी महानगर में। हर समय माता-पिता को बेटी की चिंता रहती है। कोई भी माता-पिता यह नहीं चाहेगा कि उसकी बेटी मुंह पर कपड़ा बांधकर बॉयफ्रेंड के साथ मोटरसाईकिल अथवा कार में घूमें। लेकिन फिर भी हम देखते हैं कि सड़कों पर लड़कियां अपने दोस्तों के साथ मोटर साईकिल पर घूमती हैं। जिस स्थिति में लड़कियां मोटर साईकिल पर बैठती हंै, उससे नहीं लगता कि वे अपने भाई के साथ घूम रही हंै। हो सकता है कुछ लड़कियां नासमझी की वजह से ऐसे घूमती हों, लेकिन इन दिनों सोशल मीडिया पर जो अश्लील वीडियो वायरल होते हैं। उससे उन लड़कियों को सावधान हो जाना चाहिए, जो स्कूल-कॉलेजों में बॉयफ्रेंड को रखकर गर्व महसूस करती हैं। सोशल मीडिया के वीडियो को देखा जाए तो साफ प्रतीत होता है कि लड़कियां किसी दबाव में अत्याचार सह रही हैं। मैं नहीं कहता कि मोटर साइकिल पर घूमने वाली लड़कियां अपने बॉयफ्रेंड के साथ किसी होटल अथवा रेस्टोरेंट में जाती हैं, लेकिन जो वीडियो सामने आ रहे हैं, उनसे साफ लगता है कि अनेक लड़कियां होटल और रेस्टोरेंट में भी जाती है। 8 मार्च को जो लोग महिला सशक्तिकरण पर उपदेश दे रहे हैं, उन्हें सबसे पहले स्कूल-कॉलेज में पढऩे वाली लड़कियों को सावधान करने की जरूरत है। कल्पना कीजिए यदि कोई लड़की नासमझी में अपने दोस्त के साथ किसी होटल में चली गई और उस दोस्त ने होटल के कमरे के दृश्यों का वीडियो बना लिया और फिर उस अश्लील वीडियो को दिखाकर बार-बार जबरन बुलाता है। कोई माने या नहीं, लेकिन आज समाज में इस तरह का तनवा बढ़ता ही जा रहा है। हम पारिवारिक न्यायालयों में देंखे तो पता चलता है कि शादी के कुछ दिनों बाद ही तलाक का मुकदमा दायर हो गया है। इसकी वजह वो ही बॉयफ्रेंड वाली गलती सामने आ रही है। जहां तक महिलाओं की मेहनत और सफलता का सवाल है तो वे पुरूषों से कहीं आगे हैं। हम किसी भी परीक्षा का परिणाम देख लें, लड़कों के मुकाबले लड़कियों की उत्तीर्णता का प्रतिशत ज्यादा है। यदि किसी परिवार में भाई-बहन पढ़ते हैं तो भाई के मुकाबले बहन ही अव्वल होती है।
(एस.पी.मित्तल) (07-03-17)
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