राजस्थान के 28 हजार कोविड स्वास्थ्य सहायकों ने फिर दिल्ली कूच का ऐलान किया। पिछले 21 दिनों से जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना दे रहे हैं। धरना स्थल पर छोटे बच्चों के साथ महिलाएं भी शामिल। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बताएं कि कोविड सहायक और कितना हो हल्ला करें? वैसे महिलाएं धरना स्थल पर ही आत्महत्या की धमकी दे रही हैं।

21 अप्रैल को राजस्थान के 28 हजार कोविड स्वास्थ्य सहायकों ने जयपुर में धरना देते हुए पूरे 21 दिन हो गए हैं। अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने कोविड सहायकों की सेवाएं 31 मार्च को समाप्त कर दी थी, तभी से ये स्वास्थ्य कर्मी जयपुर में शहीद स्मारक पर धरना दे रहे हैं। चूंकि इस धरने का गहलोत सरकार पर कोई असर नहीं हो रहा है, इसलिए स्वास्थ्य कर्मियों ने दिल्ली कूच का ऐलान किया था। दिल्ली में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात करने की योजना थी, लेकिन 20 अप्रैल को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री हरीश चौधरी धरना स्थल पहुंच गए। चौधरी के आश्वासन के बाद स्वास्थ्य कर्मियों ने दिल्ली कूच स्थगित कर दिया, लेकिन 21 अप्रैल को चौधरी ने एक न्यूज चैनल पर कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों को धैर्य रखना होगा। अभी 50 हजार संविदा कर्मियों को स्थाई करने का मामला ही अटका हुआ है, ऐसे में  28 हजार कोविड स्वास्थ्य सहायकों की बहाली कैसे की जा सकती है? चौधरी ने कहा कि मैं व्यक्तिगत तौर पर इन स्वास्थ्य कर्मियों की बहाली के पक्ष में हंू, लेकिन मैं सरकार का हिस्सा नहीं हंू। मैंने स्वास्थ्य कर्मियों की मांग सरकार तक पहुंचा दी है। अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को निर्णय लेना है। चौधरी द्वारा टीवी चैनल पर दिए, इस बयान से जयपुर में धरना दे रहे स्वास्थ्य कर्मी भड़क गए। धरने पर बैठे स्वास्थ्यकर्मी खासकर महिलाओं ने कहा कि उनका तो 20 अप्रैल को ही दिल्ली पहुंचाने का कार्यक्रम था, लेकिन उन्होंने हरीश चौधरी पर भरोसा किया। अब चौधरी भी असमर्थता प्रकट कर रहे हैं तो वे 22 अप्रैल को दिल्ली पहुंच जाएंगे। जरूरत पड़ी तो सोनिया गांधी के निवास स्थान  10 जनपथ का घेराव भी किया जाएगा। स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि 100 से भी ज्यादा विधायकों ने हमारी बहाली के समर्थन में पत्र लिखे हैं, लेकिन सीएम गहलोत पर कोई असर नहीं हो रहा है। संविदा कर्मी तो नियमित करने की मांग कर रहे हैं, जबकि हमारी मांग को सिर्फ बहाली की है। सरकार हमें 7 हजार 900 रुपए प्रतिमाह मानदेय दे रही थी। हम इसी मानदेय पर काम करने को तैयार है। धरना स्थल पर बड़ी संख्या में महिला स्वास्थ्य कर्मी भी अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ बेठी हैं। भीषण गर्मी में बच्चों को भी भारी परेशानी हो रही है। इसे ईश्वर की कृपा ही कहा जाएगा कि हजारों की भीड़ के बाद भी अभी तक कोई जनहानि नहीं हुई है। शायद सरकार जनहानि का इंतजार कर रही है।  स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि कोरोना की मुसीबत के समय सरकार ने हमें काम पर रखा था, लेकिन अब हमें बर्खास्त कर दिया है, जबकि कोरोना एक बार फिर दस्तक दे रहा है। दिल्ली सहित देश के कई शहरों में संक्रमित व्यक्तियों की संख्या को देखते हुए मास्क अनिवार्य कर दिया है। ऐसे में राजस्थान अछूता नहीं रहेगा। सीएम गहलोत भी कोरोना संक्रमण के प्रति चेतावनी दे चुके हैं। यदि कोविड स्वास्थ्य सहायकों की बहाली होती है तो प्रदेश के 28 हजार परिवारों में दो वक्त की रोटी का इंतजाम होगा।
 
आखिर कितना हो हल्ला मचाए:
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बार कह चुके हैं कि विधानसभा के बाहर, जयपुर के शहीद स्मारक या अन्य स्थानों पर जब कभी धरना प्रदर्शन होता है तो उसका असर सरकार पर पड़ता है। ऐसे धरना प्रदर्शन करने वालों की समस्याओं का समाधान भी जल्द हो जाता है। कोविड स्वास्थ्य सहायक अपनी बर्खास्तगी के बाद से ही एक अप्रैल से हजारों की संख्या में जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना दे रहे हैं। इनमें गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। अब तो स्वास्थ्य कर्मियों ने दिल्ली जाकर सोनिया गांधी के सरकार निवास का घेराव करने की भी घोषणा कर दी है। सीएम गहलोत बताए कि अब स्वास्थ्य कर्मी कितना हो हल्ला करे ताकि सरकार पर असर हो सके। 
 
S.P.MITTAL BLOGGER (21-04-2022)
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