हिन्दी भाषा से इतना परहेज है तो फिर कन्नड़, तमिल फिल्मों को हिन्दी में क्यों डब किया जाता है?-अजय देवगन। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तो हिन्दी को भारत की सिर्फ संपर्क भाषा बनाने की बात कही थी। हिन्दी अखबार राजस्थान पत्रिका कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में धड़ल्ले से निकल रहा है।

अहिन्दी भाषी प्रदेशों के जो लोग हिन्दी का विरोध कर रहे हैं, उन्हें हिन्दी फिल्मों के सफल अभिनेता अजय देवगन ने अच्छा जवाब दिया है। हालांकि यह जवाब कन्नड़ फिल्मों के एक अभिनेता के ट्वीट के संदर्भ में दिया है। देवगन ने कहा कि यदि हिन्दी से इतना ही परहेज है तो फिर तमिल कन्नड़ आदि क्षेत्रीय भाषाओं में बनी फिल्मों को हिन्दी में डब क्यों करवाया जाता है। देवगन ने कहा कि हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है और रहेगी। असल में विगत दिनों संसदीय राजभाषा समिति की बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सिर्फ इतना कहा कि हिन्दी को भारत की संपर्क भाषा बनाना चाहिए। शाह ने न तो प्रदेश की किसी स्थानीय भाषा का महत्व कम करने और न ही अंग्रेजी को हटाने की बात कही। लेकिन इसके बाद भी कुछ अहिन्दी भाषी प्रदेशों में अमित शाह के बयान की आलोचना हो रही है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता सिद्धारमैया ने कहा हिन्दी कभी भी भारत की राष्ट्र भाषा नहीं रही।  उन्होंने कहा कि मुझे कन्नड़ होने का गर्व है। दक्षिण के कुछ राज्यों के नेता अमित शाह पर हिन्दी को थोपने का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन ऐसे नेता यह भूल रहे है कि मौजूदा केंद्र सरकार ने ही नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व दिया है। नई नीति में यह कहा गया है कि शैक्षणिक संस्थानों में प्रदेश की मूल भाषा में ही परीक्षाएं और राज्य सरकार भी मूलभाषा में ही प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित करें। जो केंद्र सरकार क्षेत्रीय भाषाओं को इतना महत्व दे रही है वो हिन्दी को कैसे थोप सकती है? यह माना कि देश के कई प्रदेशों में क्षेत्रीय भाषा ही बोली जाती है। जैसे तमिलनाडु में तमिल, कर्नाटक में कन्नड़, पश्चिम बंगाल में बंगाली, केरल में मलयालम, गुजरात में गुजराती। लेनिक इन प्रदेशों में भी हिन्दी बोलने वाले मिल जाएंगे। हिन्दी के महत्व को देखते ही राजस्थान पत्रिका अखबार ने गैर हिन्दी भाषी राज्य कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल से प्रकाशन शुरू किया है। इन सभी राज्यों में पत्रिका अखबार हिन्दी में ही निकल रहा है। यानी हिन्दी भारत की संपर्क भाषा बन सकती है। सब जानते हैं कि भारत में सबसे ज्यादा हिन्दी ही बोली जाती है। आम देशवासियों तक संदेश पहुंचाने के लिए हिन्दी का ही प्रयोग होता है। देश के मौजूदा और पहले के प्रधानमंत्री भी राष्ट्र के नाम संबोधन हिन्दी में ही करते हैं। यदि हिन्दी संपर्क भाषा बनती है तो इसमें किसी को भी एतराज नहीं होना चाहिए। जहां तक अंग्रेजी का सवाल है तो भारत में अंग्रेजी भाषा बोलने वालों का प्रतिशत बहुत कम है। यह माना कि अब अंग्रेजी विश्व की भाषा बन रही है, लेकिन अपने कामकाज के कारण जो लोग अंग्रेजी में बोलते हैं, वे अपने घर परिवार में तो हिन्दी में ही संवाद करते हैं। भारत की पहचान तो हिन्दी से ही है। दक्षिण के राज्यों के लोग माने या नहीं, लेकिन हिन्दी एक ऐसी भाषा है जिसमें अन्य भाषाओं का समावेश हो सकता है। हिन्दी भाषा में आत्मीयता झलकती है। हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के ताजा बयान पर विवाद बेमानी है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (28-04-2022)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511

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