ओवैसी ज्ञानवापी मस्जिद की तो वकालत करते हैं, लेकिन कश्मीर घाटी में हिन्दुओं की हत्याओं पर चुप रहते हैं। ऐसा क्यों? इस बार शराब की दुकान पर फेंका ग्रेनेड। सेल्समेन रंजीत सिंह की मौत, 3 जख्मी।

बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हिन्दू धर्म के प्रतीक चिन्ह मिलने के बाद भी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और देश के मुसलमानों के प्रतिनिधि नेता असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि धार्मिक स्थलों के मामलों में 1991 के वर्शिय एक्ट की पालना होनी चाहिए। ओवैसी ज्ञानवापी मस्जिद में मिले सभी सबूतों को नकारते हैं और कहते हैं कि कयामत तक ज्ञानवापी मस्जिद बनारस में ही रहेगी। ओवैसी का कहना है कि देश में जानबूझ कर मुस्लिम धर्म स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है। ओवैसी देश के संविधान और धर्मनिरपेक्षता की दुहाई भी देते हैं। ओवैसी संविधान और धर्मनिरपेक्षता की दुहाई तो देते हैं, लेकिन कश्मीर घाटी में हिन्दुओं की हत्याओं पर चुप रहते हैं। 17 मई की रात को भी एक शराब की दुकान पर ग्रेनेड फेंका, इस से दुकान के सेल्समैन रंजीत सिंह की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि तीन अन्य युवक जख्मी हो गए। पिछले कुछ दिनों से कश्मीर घाटी में हिन्दुओं की हत्या का सिलसिला जारी है। चूंकि कश्मीर में हिन्दू अल्पसंख्यक है, इसलिए आतंकी हत्या के बाद फरार भी हो जाते हैं। ओवैसी जब संविधान और धर्मनिरपेक्षता की बात करते हैं, तब कश्मीर में हिन्दुओं की हत्या पर आतंकियों की निंदा क्यों नहीं करते? सब जानते हैं कि पाकिस्तान में प्रशिक्षित आतंकी मुस्लिम चरमपंथी हैं जो कश्मीर को देश से  अलग करना चाहते हैं। हालांकि अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद आतंकियों के खिलाफ भी बड़ी कार्यवाही हुई है, लेकिन विदेशी मदद के कारण आतंकी अभी भी बाज नहीं आ रहे हैं। कश्मीर में हिन्दुओं की हत्याओं पर ओवैसी जैसे मुस्लिम नेताओं की चुप्पी को देशवासियों को समझना चाहिए। जहां तक हिन्दुओं का सवाल है तो वह शुरू से ही उदार प्रवृत्ति का रहा है। यही वजह है कि हजारों हिन्दू सूफी संतों की दरगाहों में जाकर जियारत करते हैं। जियारत के समय मुस्लिम धर्म की परंपराओं का ही निर्वहन किया जाता है। एक हिन्दू समुदाय के लाग दरगाहों में जियारत कर रहे हैं तो दूसरी ओर कश्मीर में चरमपंथी मुस्लिम हिन्दुओं की हत्या कर रहे हैं। यह बात देश के आम मुसलमान को भी समझनी चाहिए। बहुसंख्यक हिन्दुओं के बीच रहने पर किसी मुसलमान को खतरा नहीं है। अनेक मुस्लिम परिवार मुस्लिम आबादी वाले इलाकों को छोड़ कर हिन्दू आबादी वाली कॉलोनियों में बड़े आराम और मान सम्मान के साथ रह रहे हैं, लेकिन वहीं कश्मीर में अल्पसंख्यक हिन्दुओं को मारा जा रहा है। सवाल उठता है कि जब आम मुसलमान हिन्दू बाहुल्य क्षेत्रों में निडर हो कर रह सकता है तो फिर कश्मीर में मुस्लिम बहुसंख्यकों के बीच हिन्दू सुरक्षित क्यों नहीं रहता? क्या हिन्दुओं को कश्मीर में रहने का अधिकार नहीं है?

S.P.MITTAL BLOGGER (18-05-2022)
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