अजमेर जिले की नगर गांव की सरकारी स्कूल की काया पलटने में लगे हैं विकलांग प्राचार्य रामप्रसाद जांगिड़। दो माह में 3 लाख रुपए जनसहयोग से एकत्रित कर कैमरे लगाने के साथ साथ कई विकास कार्य करवाए। 14 बीघा भूमि पर बना है सरकारी स्कूल।

अजमेर जिले की मसूदा पंचायत समिति के नगर गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य का पद रामप्रसाद जांगिड़ ने गत 23 मार्च को संभाला, तब स्कूल के विद्यार्थियों, अभिभावकों और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के मन में यह सवाल आया कि आखिर एक हाथ वाला यह विकलांग प्राचार्य 14 बीघा भूमि में फैले सरकारी स्कूल को कैसे संभालेगा। लेकिन एक हाथ वाले प्राचार्य जांगिड़ ने दो-तीन माह की अवधि में ही यह दर्शा दिया कि वे सौ हाथ वाले प्राचार्य हैं। भले ही एक दुर्घटना में ईश्वर ने उनका एक हाथ छीन लिया हो, लेकिन उनकी दक्षता में कोई कमी नहीं है। राजस्थान लोक सेवा आयोग की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद शिक्षा विभाग में प्राध्यापक की नौकरी हासिल की। 23 मार्च को जब नगर गांव के स्कूल के प्राचार्य का पद संभाला तब जांगिड़ के समक्ष चुनौतियां भी थी। कोरोना काल के बाद स्कूल खुलने की प्रक्रिया में थे। जांगिड़ ने सबसे पहले स्कूल भवन के रंग रोगन का जिम्मा उठाया। क्षेत्रीय भामाशाहों से कोई तीन  लाख रुपए की राशि एकत्रित की और संपूर्ण भवन पर रंग रोगन के साथ साथ स्कूल परिसर में सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए। इससे जांगिड़ अपने प्राचार्य के कक्ष में बैठकर संपूर्ण स्कूल परिसर में निगरानी रख पाते हैं। 250 विद्यार्थियों वाले इस स्कूल में 150 छात्राएं हैं। छात्राओं की मौजूदगी को देखते हुए ही कैमरे लगवाना जरूरी था। जांगिड़ ने सभी कक्षाओं में ग्रीन बोर्ड लगवाए हैं ताकि शिक्षक स्मार्ट क्लास की तरह मार्कर पेन से बोर्ड पर लिख सके। विद्यार्थियों को गर्मी के दिनों में ठंडा पानी पिलाने के लिए प्याऊ का निर्माण कर वाटर कूलर भी लगाया गया है। चूंकि यह विद्यालय 14 बीघा भूमि पर फैला हुआ है, इसलिए स्कूल परिसर में अनेक स्थानों पर सीमेंट की सड़क बनवाने की जरूरत है ताकि विद्यार्थी खेल मैदान तक आसानी से पहुंच सके। जांगिड़ का प्रयास है कि क्षेत्रीय प्रधान मीनू कंवर राठौड़ के सहयोग से विद्यालय परिसर में सीसी रोड का निर्माण करवाया जाए। इसी प्रकार सरकार के अन्य कोष से तीन लाख रुपए के विकास कार्य भी करवाए जा रहे हैं। जांगिड़ ने यह प्रदर्शित किया है कि यदि कोई प्राचार्य ठन ले तो सरकारी स्कूल को भी प्राइवेट स्कूल के मुकाबले में खड़ा कर सकता है। प्राइवेट स्कूलों के पास तो आधा बीघा भूमि भी नहीं होती है, जबकि सरकार ने छोटे से गांव नगर में स्कूल के लिए 14 बीघा भूमि दे रखी है। जांगिड़ का कहना है कि राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप वे अपने विद्यालय को मॉडल विद्यालय के तौर पर विकसित करेंगे। यही वजह है कि अब इस स्कूल में विद्यार्थियों खास कर छात्राओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। स्कूल परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाने के कार्य की प्रशंसा छात्राओं के अभिभावकों ने भी की है। अब अभिभावक भी स्कूल के विकास में रुचि दिखा रहे हैं। जांगिड़ ने विकलांग होते हुए भी सरकारी स्कूल के विकास के लिए जो काम किए हैं, उनसे दो हाथ वाले प्राचार्य भी प्रेरणा ले सकते हैं। जांगिड़ की उपलब्धियों के लिए मोबाइल नंबर 9887694625 पर बधाई दी जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (17-05-2022)
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