हिंदू संस्कृति की तरह निकली मुस्लिम परिवार की बारात। महिलाओं ने बारात में डांस भी किया। गनी गुरदेजी के पोते के निकाह में हल्दी की रस्म भी हुई। नरेश सालेचा के भतीजे के रिसेप्शन पर फूलों के गुलदस्ते नहीं लिए।

6 नवंबर को मुझे अजमेर के एमए कादरी बिल्डर्स के मालिक हाजी मुस्तकीम खान कादरी के पुत्र आमिर खान की बारात में शरीक होने का अवसर मिला। यह बारात मुस्तकीम खान के हरिभाऊ उपाध्याय नगर से रवाना हुई, लेकिन इससे पहले सभी बारातियों के सिर पर साफे बांधे गए। बारात शुरू होते ही सड़क पर आतिशबाजी शुरू हो गई। दूल्हा घोड़ी पर बैठा तो परिवार की महिलाओं और लड़कियों ने डांस शुरू कर दिया। फिल्मी गानों पर लड़कों ने भी लड़कियों के साथ जमकर डांस किया। आतिशबाजी और सामूहिक डांस का दौर निकाह स्थल लक्ष्मी पैलेस तक जारी रहा। बारात के पहुंचने पर लड़की वालों ने सभी बारातियों को मोतियों की माला पहनाकर स्वागत किया। पूरे रास्ते नोटों की बरसात की गई। मुझे ऐसा लगा ही नहीं कि मैं किसी मुस्लिम परिवार की बारात में शरीक हुआ हंू। कुछ लोग धार्मिक स्थलों पर चाहे जैसे नारे लगा लें, लेकिन अधिकांश मुस्लिम परिवार ऐसे हैं जो हिन्दू संस्कृति के अनुरूप ही मांगलिक कार्य करते हैं। जिस शान ओ शौकत के साथ बारात निकाली गई, उसमें हाजी मुस्तकीम खान कादरी को बधाई मिलनी चाहिए। इसके लिए मोबाइल नंबर 9414414166 पर मुस्तकीम को बधाई दी जा सकती है। भारत में कुछ लोग भले ही हिजाब को मुद्दा बना रहे हों, लेकिन आमिर खार ने तो निकाह से पहले विभिन्न स्थानों पर अपनी मंगेतर के साथ फोटोशूट भी करवाए। 
हल्दी की रस्म भी:
अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह गांधी परिवार के खादिम सैय्यद अब्दुल गनी गुरदेजी के पौत्र और सैय्यद जकरिया गुरदेजी के पुत्र अली अब्बास का निकाह 6 नवंबर को हुआ। गनी गुरदेजी ने बताया कि निकाह से पहले 5 नवंबर को हल्दी की रस्म वैसे ही हुई जैसे हिन्दुओं में विवाह के अवसर पर होती है। गुरदेजी परिवार की महिलाओं ने दूल्हे अली अब्बास के शरीर पर हल्दी लगाई। 6 नवंबर को खादिम मोहल्ले से बारात भी निकाली गई तो 8 नवंबर को रिसेप्शन भी रखा गया। गुरदेजी ने कहा कि निकाह में अधिकांश रस्में हिन्दू संस्कृति के अनुरूप ही होती है। गुरदेजी का मानना रहा कि आम हिन्दू और मुसलमान आज भी भाईचारे के साथ रहना चाहते हैं, लेकिन कुछ कट्टरपंथी हैं जो बेवजह का विवाद खड़ा करते हैं। अधिकांश खादिमों के बच्चे कान्वेंट स्कूलों में पढ़ते हैं। 
फूलों के गुलदस्ते भी नहीं लिए:
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल के सदस्य और रेलवे बोर्ड के सदस्य रहे नरेश सालेचा के भतीजे और ग्रेनाइट कारोबारी अनिल सालेचा के पुत्र अरिहंत के विवाह के उपलक्ष्य में 7 नवंबर को जयपुर के सिरसी रोड स्थित आनंद वन (आम्रपाली) समारोह स्थल पर रिसेप्शन हुआ। सभी मेहमानों का सालेचा बंधुओं ने पूरी आत्मीयता के साथ स्वागत किया। लेकिन किसी भी मेहमान से फूलों के गुलदस्ते भी स्वीकार नहीं किए गए। असल में किसी भी प्रकार का उपहार न आने का आग्रह निमंत्रण पत्र के साथ ही कर दिया गया था। इतना ही नहीं 7 नवंबर को एक बार फिर सूचित किया गया कि रिसेप्शन में फ्लावर भी स्वीकार नहीं होंगे। आम तौर पर जब कोई अधिकारी बड़े पद पर होता है, तब उपहार स्वीकार करने में झिझक नहीं दिखाता। क्योंकि जितना बड़ा पद उतना बड़ा उपहार। लेकिन सालेचा बंधुओं ने फ्लावर भी स्वीकार नहीं कर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। मौजूदा समय में भी सालेचा देश भर की कंपनियों के विवादों को निपटाने वाली अपीलेट अदालत के तकनीकी सदस्य हैं। सदस्य का पद हाईकोर्ट के न्यायाधीश के समकक्ष होता है। 7 नवंबर को हुए समारोह में राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया, हाईकोर्ट जजेज, सीनियर एडवोकेट, प्रशासनिक अधिकारी, दैनिक नवज्योति के प्रधान संपादक दीनबंधु चौधरी, समाजसेवी सुभाष काबरा, एडवोकेट हर्षित मित्तल आदि उपस्थित रहे।

S.P.MITTAL BLOGGER (08-11-2022)
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