पुष्कर के कानस में दलितों की दस करोड़ रुपए की भूमि पर दबंगों की जंग। पुलिस की बल्ले बल्ले।
अजमेर शहर के निकट पुष्कर घाटी स्थित स्काउट गाइड के कार्यालय से जुड़ी दलितों की 16 बीघा भूमि पर अब दबंगों की जंग हो रही है। यह भूमि पुष्कर के कानस गांव में आती है। मूलत: इस भूमि के मालिक भांबी जाति के लाडू और उनके परिवार के सदस्य हैं। क्योंकि बड़ा परिवार है इसलिए कुछ सदस्यों ने अपने अपने नजरियों से दबंगों के पहचान वालों को भूमि का बेचान कर दिया है। अब लाडू भांबी ने ही पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया है कि दबंग लोग उसके परिवार की 16 बीघा भूमि पर कब्जा कर रहे हैं। चूंकि भूमि के पीछे दबंग और धनाढ्य खासकर रिसोर्ट मालिक खड़े हैं इसलिए पुलिस की बल्ले बल्ले हो गई है। भले ही सरकारी रिकॉर्ड में ब्यावर के जटिया कॉलोनी निवासी सुरेश कुमार पुरानी चुंगी चौकी देवेंद्र कुमार तंवर, देलवाड़ा गांव के ललित कुमार भाट आदि के नाम दर्ज हो गए हैं, लेकिन इसके पीछे भी दबंग सक्रिय हैं। आरोप है कि देवेंद्र कुमार तंवर ने भी दबंगों के इशारे पर जमीनों को अन्य को बेचान कर दिया। चूंकि इस मार्ग पर रिसोर्ट और होटल बने हुए हैं, इसलिए इस 16 बीघा भूमि की कीमत 10 करोड़ रुपए से भी ज्यादा आंकी जा रही है। नियमों के मुताबिक अनुसूचित जाति वर्ग की भूमि को सामान्य वर्ग के व्यक्ति को नहीं बेचा जा सकता है। इसलिए फिलहाल दबंगों ने अपने किसी कर्मचारी अथवा मिलने वाले एससी वर्ग के व्यक्ति के नाम जमीन खरीद ली है। नियमों के मुताबिक जब कृषि भूमि होटल के लिए परिवर्तित हो जाती है तो फिर भूमि को सामान्य वर्ग का व्यक्ति भी खरीद सकता है। दबंगों ने एससी वर्ग की भूमि कम कीमत पर खरीदी है और अब भूमि की किस्म बदलने के लिए सरकार को प्रार्थना पत्र भी दे दिया है। भूमि की किस्म बदलती इससे पहले ही मूल बेचानकर्ताओं में आपसी झगड़ा हो गया, जिसकी वजह से दबंगों के मालिकाना हक पर भी संकट हो गया है। यदि पुलिस ईमानदारी से पड़ताल करे तो इस दस करोड़ की भूमि के पीछे दबंगों के कई चेहरे नजर आएंगे। अजमेर नगर निगम के वार्ड 3 की पार्षद श्रीमती प्रतिभा पाराशर के पति और समाजसेवी अरविंद पाराशर का कहना है कि उन्हें इस मामले में बेवजह घसीटा जा रहा है। लाडू भांबी ने जो एफआईआर दर्ज कराई है, उसमें उनका और उनकी पत्नी का नाम राजनीतिक कारणों से लिखवाया गया है। उनका तो सिर्फ इतना ही कसूर है कि देवेंद्र कुमार तंवर ने जब इस जमीन को बेचा था तब उन्होंने दस्तावेजों पर गवाह के तौर पर हस्ताक्षर किए थे। पाराशर ने माना कि पारिवारिक विवाद के कारण इस भूमि को कई बार बेच दिया गया है। इससे यह भूमि फिलहाल विवादित हो गई है। वहीं इस भूमि के पीछे एक दबंग रिसोर्ट मालिक की भूमिका भी सामने आई है। यह रिसोर्ट मालिक भी फिलहाल पुलिस के पचड़ों में उलझ गया है। चूंकि यह मामला अब पुलिस के पास पहुंच गया है, इसलिए कई चेहरों के सामने आने की उम्मीद है। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि पुष्कर घाटी से बूढ़ा पुष्कर तक के इस मार्ग पर कई रिसोर्ट और होटल बने हुए हैं। होटल और रिसोर्ट की अनुमति कैसे मिली यह भी जांच का विषय है। मुश्किल से दस फीट चौड़ी सड़क पर बड़े बड़े रिसोर्ट कैसे बन गए? किसी भी रिसोर्ट में पार्किंग की सुविधा नहीं है। यही वजह है कि जब शादी समारोह होता है तो बूढ़ा पुष्कर जाने वाला यह मार्ग जाम हो जाता है। मार्ग भी कच्चा है, जिस पर वाहनों को चलाने में भी परेशानी होती है। जानकारों की माने तो रिसोर्ट मालिकों ने चांदी के जूते के दम पर सभी विभागों से अनुमति प्राप्त कर रखी है। यदि रिसोर्ट निर्माणों और अनुमतियों की ईमानदारी से जांच हो तो संबंधित विभाग के अधिकारियों को जेल जाना पड़ेगा। पुष्कर पुलिस को इस 16 बीघा भूमि के मामले को सतर्कता के साथ देखना चाहिए। क्योंकि भूमि का यह विवाद कभी भी खूनी संघर्ष का रूप ले सकता है। अभी भी कई दबंग मौके पर जाकर अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं। जो लोग अनुसूचित जाति वर्ग की इस भूमि की किस्म को बदलना चाहते हैं उस पर भी सरकारी विभागों को सावधानी पूर्वक काम करना चाहिए।
पार्षद वालिया का निलंबन:
अजमेर नगर निगम के भाजपा पार्षद वीरेंद्र वालिया का स्वायत्त शासन विभाग ने हाल ही में पार्षद से निलंबन किया है। वालिया पर भी सरकारी जमीनों को खुर्द बुर्द करने और अपने वार्ड में अवैध निर्माण करवाने के गंभीर आरोप लगे हैं। एसीबी ने भी वालिया को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था। हालांकि वालिया को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है, लेकिन स्वायत्त शासन विभाग ने आरोपों की गंभीरता को देखते पार्षद पद से निलंबित कर दिया है।
S.P.MITTAL BLOGGER (22-04-2023)
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