शिक्षकों के रिक्त पदों पर तदर्थ पदोन्नति का मतलब है बोतल में से जिन्न को बाहर निकालना। गहलोत सरकार नियमित पदोन्नति क्यों नहीं करती? राजस्थान के 7 हजार जनता जल कर्मियों को भी संविदा पर नियमितीकरण की उम्मीद।

बीकानेर स्थित शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश में रिक्त वरिष्ठ अध्यापकों के पदों को तदर्थ पदोन्नति की नीति से भरने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा है। इस पत्र में हा गया है कि नियमित पदोन्नति नहीं होने और विभिन्न न्यायालयों में मुकदमें चलने की वजह से नियमित पदोन्नति प्रक्रिया संभव नहीं है। इसलिए फिलहाल तदर्थ (काम चलाऊ) पदोन्नति की अनुमति दी जाए। यदि सरकार तदर्थ पदोन्नति की अनुमति देती है तो बंद बोतल से जिन्न को बाहर निकालने जैसा होगा। पूर्व में भी सरकार ने शिक्षकों को तदर्थ पदोन्नति दी थी। यानी मौजूदा वेतन पर ही उच्च पद पर नियुक्ति। ऐसे पदोन्नत शिक्षकों को पातेय वेतन शिक्षक भी कहा गया। प्रदेश में आज भी ऐसे अनेक शिक्षक हैं जो तदर्थ पदोन्नति पर ही काम कर रहे हैं। जब सरकार ऐसे शिक्षकों को मूल पद पर लौटाना चाहती है तो फिर ये शिक्षक अदालत चले जाते हैं। सवाल उठता है कि सरकार नियमित पदोन्नति क्यों नहीं करती? पहले के विवाद सुलझे नहीं है और अब तदर्थ पदोन्नति कर मामलों को और उलझाया जा रहा है। तदर्थ पदोन्नति वाले शिक्षकों के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे शिक्षक नेता दिनेश शर्मा ने राज्य सरकार को चेताया है कि वरिष्ठ अध्यापक के रिक्त पदों पर तदर्थ पदोन्नति नहीं की जाए। यदि सरकार पहले वाली गलती करती है तो पीड़ित शिक्षक आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों राज्य सरकार ने सेवा नियमों में परिवर्तन करते हुए स्नातक अधि स्नातक में एक ही विषय (समान विषय) होना अनिवार्य को ही पदोन्नति के अनुरूप माना था। ऐसे में अनेक शिक्षक जो कि स्नातक में एडिशनल विषय करके वरिष्ठता सूची में अपना नाम शामिल करा चुके हैं, वह इस पदोन्नति की दौड़ से बाहर हो गए। न्यायालय प्रकरण सामने आने का काम हुआ उसी का परिणाम है कि नियमित पदोन्नति न होकर पदोन्नति पर न्यायालय का प्रकरण होने के कारण बड़ी संख्या में द्वितीय श्रेणी के पद रिक्त हैं और द्वितीय श्रेणी पर पदोन्नति न होने के कारण तृतीय श्रेणी के रिक्त पद नहीं बन पा रहे। ऐसे में अब विभाग नई नियुक्ति के लिए तृतीय श्रेणी के शिक्षकों के पद रिक्त करना चाहता है, साथ ही द्वितीय श्रेणी के रिक्त पदों से शिक्षण व्यवस्था पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव को नए शैक्षणिक सत्र में कम करना चाहता है, क्योंकि अगला शैक्षणिक सत्र चुनावी वर्ष भी है सरकार अपनी साख बचाने के लिए और अपनी स्थिति को सही करने के लिए विपक्ष को कोई मौका नहीं देना चाहती इसलिए तदर्थ पदोन्नति के नाम पर पद भरना चाहती है परंतु इस तदर्थ पदोन्नति में कामचलाऊ व्यवस्था होने के कारण आने वाला समय तदर्थ पदोन्नति पाने वाले शिक्षकों के लिए कष्ट भरा हो सकता है क्योंकि जब नियमित पदोन्नति होने तक जब इनको लगाया जाएगा और अगर नियमित पदोन्नति में जब किसी का नंबर नहीं आएगा उसको जब वापस पूर्व पद पर भेजा जाएगा तो वह खिन्नता का भाव लेकर पुन: न्यायालय प्रकरण बनेंगे जैसा कि पहले हुआ था। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9664309124 पर दिनेश शर्मा से ली जा सकती है। 
जनता जल कर्मी भी परेशान:
सरकार की नीतियों की वजह से राजस्थान में 60 हजार जनता जल कर्मी (पंप चालक) भी परेशान हैं। जल कर्मियों के लिए संघर्षरत पंप चालक अशोक वैष्णव ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गत 13 मार्च को आश्वासन दिया था कि जनता जल कर्मियों को  संविदा पर नियमितीकरण कर दिया जाएगा। इससे ऐसे कार्मिकों को प्रतिमाह 18 हजार रुपए का मानदेय भी मिलेगा। लेकिन मुख्यमंत्री के आश्वासन की क्रियान्विति अभी तक नहीं हुई है। अधिकारी बेवजह अड़ंगेबाजी कर रहे हैं। वैष्णव ने बताया कि जनता जल कर्मी मात्र 6 हजार 734 रुपए के मासिक पारिश्रमिक में पिछले बीस वर्षों से कार्य कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की सप्लाई में इन पंप चालकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। टंकियों में पानी भरने से लेकर सप्लाई तक का कार्य ये पंप चालक ही करते हैं। सरकार की टालमटोल नीति से 60 हजार जल कर्मियों में रोष है। जल कर्मियों की समस्याओं के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9828013288 पर अशोक वैष्णव से ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (31-05-2023)
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