यदि एक जलदाय विभाग में इतना भ्रष्टाचार है तो फिर राजस्थान में कांग्रेस सरकार में हुए भ्रष्टाचार का अंदाजा लगाया जा सकता है। कांग्रेस सरकार का नेतृत्व अशोक गहलोत ने किया है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2 नवंबर को राजस्थान के जलदाय विभाग में जो छापामार कार्यवाही की, उससे पता चलता है कि जल जीवन मिशन (जेजेएम) में चालीस हजार करोड़ रुपए के टेंडर मैनेज किए गए। जो टेंडर मैनेज हुए उनके ठेकेदारों ने लोहे की जगह प्लास्टिक के पाइप बिछा दिए। चूंकि ऐसे टेंडर सत्ता में बैठे प्रभावशाली व्यक्तियों से जुड़ी फर्मों को दिया गया इसलिए बिना जांच पड़ताल के ही भुगतान भी कर दिया गया। यही वजह रही कि 2 नवंबर को ईडी के अधिकारियों ने जलदाय मंत्री महेश जोशी के ओएसडी के कार्यालय और जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल के आवास भी छापामार कार्यवाही की। आरोप है कि भ्रष्टाचार से जो पैसा कमाया गया, उसे गैर कानूनी तरीके से इधर उधर समायोजित किया। सब जानते हैं कि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में पूरे पांच वर्ष कांग्रेस की सरकार चली है। जब अकेले जलदाय विभाग में एक योजना के अंतर्गत चालीस हजार करोड़ रुपए की गड़बड़ी हुई है तो गहलोत सरकार के अन्य विभागों के भ्रष्टाचार का अंदाजा लगाया जा सकता है। हो सकता है कि केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाली जांच एजेंसी ईडी ने राजनीतिक द्वेषता की वजह से राजस्थान में छापामार कार्यवाही की है, लेकिन क्या इस वजह से भ्रष्टाचार पर पर्दा डाला जा सकता है? यदि राजनीतिक कारणों से भी भ्रष्टाचार उजागर हो रहा है तो इसमें क्या हर्ज है। सीएम गहलोत के अधीन काम करने वाला एसीबी ने 1 नवंबर को ही मणिपुर में तैनात ईडी के एक अधिकारी नवल किशोर मीणा को 15 लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में जयपुर में गिरफ्तार किया। गहलोत सरकार की एजेंसी की इस कार्यवाही का सभी ने स्वागत किया। अब जब ईडी जलदाय विभाग के भ्रष्टाचार को उजागर कर रही है, तब ऐतराज नहीं होना चाहिए। सीएम गहलोत का दावा है कि उन्होंने जो कार्य किए उनकी बदौलत राजस्थान में कांग्रेस सरकार रिपीट होगी, लेकिन यदि एक विभाग चालीस हजार करोड़ रुपए की गड़बड़ी की है तो फिर ऐसी सरकार कैसे रिपीट हो सकती है। यदि जलदाय विभाग का सर्वोच्च अधिकारी ही जांच के दायरे में आए तो राजस्थान की अफसरशाही की ईमानदारी का अंदाजा भी लगाया जा सकता है। सुबोध अग्रवाल कोई साधारण आईएएस नहीं है। उनका आईएएस का पद अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर का है। इतने बड़े पद पर बैठा व्यक्ति तभी वित्तीय अनियमितता करता है, जब सरकार चलाने वाले भी बुरी नीयत रखते हो। सीएम गहलोत माने या नहीं, लेकिन इस ताजा कार्यवाही से जलदाय विभाग में फैले भ्रष्टाचार की पोल खुल गई है।
S.P.MITTAL BLOGGER (04-11-2023)
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