भाजपा ने अपनी राजनीतिक साख बचाने के लिए जम्मू कश्मीर में गठबंधन तोड़ा। हिन्दू विहीन कश्मीर घाटी में हालात और बिगड़े।
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जम्मू कश्मीर में तीन वर्ष से भी अधिक समय तक पीडीपी के साथ सरकार चलाने के बाद 19 जून को भाजपा ने गठबंधन से अलग होने की घोषणा कर दी है। चूंकि महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली सरकार अल्पमत में आ गई है इसलिए अब जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगना तय माना जा रहा है। कांग्रेस ने पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनने से इंकार कर दिया है। 19 जून को भाजपा के वरिष्ठ नेता और जम्मू कश्मीर में तीन वर्ष पहले पीडीपी के साथ गठबंधन की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राममाधव ने कहा कि महबूबा के नेतृत्व वाली सरकार कश्मीर घाटी में हालात संभालने में विफल रही है। इसलिए मजबूरन समर्थन वापस लेना पड़ रहा है। राममाधव अब महबूबा पर कितने भी इल्जाम लगाए लेकिन भाजपा ने अपनी राजनीतिक साख बचाने के लिए ही कश्मीर में गठबंधन तोड़ा है। गठबंधन को तोड़ने के पीछे नवम्बर में होने वाले 4 बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले वर्ष लोकसभा चुनाव को भी ध्यान में रखा गया है। कश्मीर के जो हालात हैं उसमें कोई भी लोकतांत्रित सरकार केन्द्र के समर्थन के बिना नहीं चल सकती है। भाजपा को यह पता था कि पीडीपी के नेताओं का झुकाव कश्मीर के अलगाववादियों के साथ है। लेकिन फिर भी भाजपा ने कश्मीर में पीडीपी को समर्थन दिया। तब भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उम्मीद थी कि लोकतांत्रित व्यवस्था में कश्मीर में हालात सुधारने की कोशिश की जाएगी। महबूबा के कहने से ही रमजान माह में एक तरफा सीज फायर की घोषणा भी की गई। पहले से ज्यादा धनराशि भी विकास कार्यों के लिए दी। लेकिन इसके बावजूद भी घाटी के हालात सुधरने नहीं। जानकारी के मुताबिक भाजपा पीडीपी की गठबंधन सरकार में पिछले तीन वर्षों में कोई ढाई हजार जवान और आम नागरिक मारे गए हैं। यह आंकड़ा अब तक का सबसे बड़ा है। गठबंधन की सरकार में ही हुर्रियत के नेताआंें पर पाकिस्तान से आर्थिक मदद लेने के आरोप भी लगे। इतना ही नहीं हुर्रित के नेताओं को घरों में नजर बंद भी किया गया। लेकिन इसके बावजूद भी हालातों में सुधार नहीं हो सका। कोई माने या नहीं लेकिन इन हालातों के बिगड़ने का सबसे बड़ा कारण कश्मीर घाटी का हिन्दू विहीन होना है। कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के शासन में घाटी से चार लाख हिन्दुओं को पीट पीट कर भगा दिया। आज पूरी घाटी अलगाववादियों और आतंकियों के कब्जे में है। घाटी में ऐसे लोग सक्रिय हैं जो आजादी चाहते हैं। सवाल उठता है कि जब पूरी घाटी एक विचार धारा की हो तो फिर लोकतांत्रित सरकार कैसे चल सकती है? भाजपा ने पहली बार कश्मीर में गठबंधन की सरकार बनाई और इस बात का अनुभव ले लिया कि कश्मीर के हालात कैसे हैं। 19 जून को खुद राममाधव ने माना कि भाजपा के मंत्रियों को काम नहीं करने दिया गया। भाजपा के मंत्री लद्दाख और जम्मू का भी विकास करना चाहते थे, लेकिन पीडीपी की सरकार ने ऐसा नहीं होने दिया। अब जो हालात उत्पन्न हुए हैं उसमें माना जा रहा है कि शीघ्र ही जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लग जाएगा। यानि अब जम्मू कश्मीर में केन्द्र का शासन होगा। देखना है कि हिन्दू विहीन घाटी में सुरक्षा बल आतंकियों और अलगाववादियों से कैसे निपटते हैं।