ऊंटड़ा के जलसे में मुस्लिम लड़के हाफिज और लड़कियां लेंगी अलीमा की डिग्री।

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ऊंटड़ा के जलसे में मुस्लिम लड़के हाफिज और लड़कियां लेंगी अलीमा की डिग्री।
अजमेर क्षेत्र के जमा होंगे मुसलमान।
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अजमेर के निकटवर्ती ऊंटड़ा गांव में 22 मई को प्रात: 8 बजे इदारा-ए-दावतुल हक संस्था की ओर से एक बड़ा जलसा किया जाएगा। यह संस्था अजमेर क्षेत्र के रसूलपुरा, बडग़ांव, ब्यावर, मकराना, दूदू, फुलेरा, सांभर, नरेना, किशनगढ़ आदि में पचास से भी ज्यादा मदरसों का संचालन करती है। संस्था के मौलाना मोहम्मद अय्यूब कासमी ने बताया कि इन मदरसों में पढऩे वाले बच्चों को मुस्लिम शिक्षा के अनुरूप डिग्रियां दी जाती है। ऐसा जलसा प्रतिवर्ष किया जाता है, उन्होंने कहा कि मदरसों की शिक्षा को लेकर कई बार भ्रम की स्थिति होगी है, लेकिन हमारे मदरसों में मुस्लिम धर्म के अनुरूप ही शिक्षा दी जाती है। 22 मई को होने वाले जलसे में मुस्लिम विद्वान भी अपने विचार रखेंगे।
जलसे से जुड़े मोहम्मद दाउद और मौलाना नवाब ने बताया कि मदरसों में जो विद्यार्थी कुरान के सभी 30 पारे (वोल्यूम) को मौखिक याद कर लेता है, उन विद्यार्थियों को हाफिज की डिग्री दी जाती है। यह माना जाता है कि इन विद्यार्थियों ने हिज्फ कर लिया है, इसी प्रकार लड़कियों को भी कुरान की शिक्षा के अनुरूप ही आलिमा की डिग्री दी जाती है। मुस्लिम धर्म में जैसे मौलवी को धर्म का जानकार माना जाता है। ठीक उसी प्रकार आलिमा की डिग्री लेने वाली मुस्लिम लड़कियों को भी धर्म की जानकारी हो जाती है।
मौलाना हाशमी ने बताया कि जलसे के अंत में देश में अमन शांति के लिए भी दुआ की जाएगी। इस जलसे में किसी भी धर्म का व्यक्ति भाग ले सकता है। मौलाना ने हिन्दू धर्म के जानकारों से आग्रह किया है कि शिक्षा से जुड़े इस जलसे में शामिल हों, ताकि उन्हें मुस्लिम धर्म के बारे में जानकारी हो सके। उन्होंने माना कि कुछ लोगों की गलती की वजह से आम मुसलमान को शक की निगाह से देखा जाता है। उन्होंने बताया कि अजमेर क्षेत्र में संस्था जितने भी मदरसों का संचालन करती है, उसमें सरकार का कोई योगदान नहीं है। सभी मदरसों का खर्चा जनसहयोग से ही पूरा किया जाता है।
(एस.पी. मित्तल) (20-05-2016)
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