अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है महाराणा प्रताप का समाधि स्थल। सवाल सिर्फ राजपूत समाज का ही नहीं है।

#2015
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राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी बार-बार कहते हैं कि अब पाठ्यक्रमों में अकबर महान नहीं, बल्कि महाराणा प्रताप महान पढ़ाया जाएगा। चूंकि देवनानी राजनेता है इसलिए राजनीतिक नजरिए से ही घोषणा करते हैं। यदि देवनानी के मन में महाराणा प्रताप के प्रति वाकई सम्मान होता तो उदयपुर से 80 किलोमीटर दूर चावंड गांव में प्रताप का समाधि स्थल अपनी दुर्दशा पर आसूं नहीं बहा रहा होता।
आज महाराणा प्रताप के समाधि स्थल की जो दुर्दशा है, उस पर सभी को शर्म महसूस करनी चाहिए। सवाल सिर्फ राजपूत समाज का ही नहीं है क्योंकि महाराणा प्रताप को किसी एक समाज से जोड़कर नहीं देखा जा सकता। जब अकबर का शासन एकछत्र था, तब महाराणा ने अकेले अकबर को चुनौती दी। इतिहास साक्षी है कि प्रताप ने अपने जीते जी अकबर की आधीनता स्वीकार नहीं की। अच्छे-अच्छे राजा-महाराजाओं ने अकबर के दरबार में हाजरी दी, लेकिन प्रताप ने हमेशा भारतवर्ष का प्रताप बुलन्द रखा। लड़ते-लड़ते ही 19 जनवरी 1597 में प्रताप का निधन चावंड में ही हो गया। यहां बने समाधि स्थल पर अटल बिहारी वाजपेयी और श्रीमती प्रतिभा पाटिल क्रमश: प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के तौर पर आए भी। वर्ष 2004 में भारत सरकार ने इस समाधि स्थल और गांव की कुछ इमारतों को संरक्षित धरोहर घोषित कर दिया। इतना सब कुछ होने के बाद भी प्रताप का समाधि स्थल उजाड़ और विरान पड़ा हुआ है। इस समय देश और प्रदेश में उस भाजपा की सरकारें है जो महाराणा प्रताप का उपयोग समय-समय पर अपने नजरिए से करती है। ऐसा नहीं कि प्रताप के नाम के लिए कुछ नहीं किया जा रहा। राजपूत समाज ने अपने दम पर उदयपुर में 25 बीघा भूमि पर प्रताप गौरव केन्द्र की स्थापना की है। 27 नवंबर को हुए भव्य समारोह में केन्द्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने प्रताप के इतिहास का संग्रहालय बनाने के लिए 100 करोड़ रुपए देने की घोषणा भी की है। लेकिन इस समारोह में भी प्रताप के समाधि स्थल के हालात सुधारने की कोई योजना नहीं बनी। राजपूत समाज के जिन लोगों ने अपने दम पर उदयपुर में प्रताप गौरव केन्द्र बनाया है वे साधुवाद के पात्र हैं, लेकिन अच्छा हो कि समाधि स्थल को संरक्षित करने के लिए भी कोई योजना बनाई जाए। समाधि स्थल को पर्यटन की दृष्टि से भी विकसित किया जा सकता है।
जी मीडिया की पहल
जी मीडिया के राजस्थान न्यूज चैनल के प्रतिनिधि मनवीर सिंह चुंडावत ने बताया कि महाराणा प्रताप के समाधि स्थल के संरक्षण के लिए जी मीडिया ने बीड़ा उठाया है। पिछले दिनों राजस्थान के करौली में जो समारोह हुआ, उसमें जी मीडिया के प्रमुख डॉ. सुभाष चन्द्रा ने समाधि स्थल को विकसित करने का संकल्प लिया। जी मीडिया की ओर से राजस्थान और देशभर में अभियान चलाकर समाधि स्थल का विकास करवाया जाएगा। इसके मोबाइल नंबर 7734043291 पर संपर्क किया जा सकता है। और अधिक जानकारी www.facebook.com/events/339437069768825 ली जा सकती है।
(एस.पी.मित्तल) (30-11-16)
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