यूपीए की सरकार के समय भी खादी आयोग की डायरी व कैलेंडर में महात्मा गांधी का फोटो नहीं था। तो फिर वर्ष 2017 में क्यों हो रहा है बबेला। ======

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यूपीए की सरकार के समय भी खादी आयोग की डायरी व कैलेंडर में महात्मा गांधी का फोटो नहीं था। तो फिर वर्ष 2017 में क्यों हो रहा है बबेला।
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ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ लोग पीएम नरेन्द्र मोदी की आलोचना का कोई अवसर नहीं छोडऩा चाहते। इस उतावलेपन में तथ्यों की जांच भी नहीं करते हैं। केन्द्रीय ग्रामोद्योग आयोग के वर्ष 2017 के कैलेंडर और डायरी में पीएम मोदी का चरखा चलाते हुए फोटो छापा गया है। मोदी से राजनीतिक द्वेषता रखने वालों ने हाथों हाथ आरोप लगा दिया कि महात्मा गांधी का फोटो हटाकर मोदी का फोटो लगाया गया है। ममता बनर्जी जैसी सीएम ने भी बिना तथ्यों की जांच किए मोदी पर आरोप लगा दिए। लेकिन आयोग के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने साफ किया है, जब पूर्व में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार थी तब भी कई बार महात्मा गांधी का फोटो डायरी और कैलेंडर पर नहीं लगाया गया। वर्ष 2005, 11, 12 व 13 की डायरियों और कैलेंडरों में महात्मा गांधी के फोटो नहीं थे। तब किसी ने भी ऐतराज नहीं जताया। क्या ममता बनर्जी जैसे राजनेताओं को यूपीए की सरकार में इस मुद्दे को नहीं उठाना चाहिए था? जबकि सब जानते हैं कि पीएम मोदी ने तो अपना स्वच्छता अभियान ही गांधी जयंती से शुरू किया। अपने हर भाषण में मोदी महात्मा गांधी का उल्लेख करते हैं। मोदी ने चरखा भी इस लिए चलाया ताकि खादी के उत्पादों का प्रचार हो सके। लोकतंत्र में सरकार की आलोचना करने का सबको अधिकार है। लेकिन अच्छा हो आलोचना से पहले तथ्यों की जानकारी कर ली जाए। यदि झूठे और बेबुनियाद आरोपों के तहत आलोचना की जाती है तो इसे ईष्र्या ही माना जाएगा।
(एस.पी.मित्तल) (13-01-17)
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