राजनीति हो तो हबीबुर्ररहमान जैसी। टिकिट के लिए बदलते हैं पार्टी। अब फिर कांग्रेस में शामिल।
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14 नवम्बर को भाजपा के विधायक हबीबुर्ररहमान कांगे्रस में शामिल हो गए हैं। असल में हबीबुर्ररहमान टिकिट के लिए पार्टी बदलते रहे हैं। यह बात खुद हबीबुर्ररहमान ने भी स्वीकार की है। कांग्रेस में शामिल होने पर आयोजित प्रेस काॅन्फ्रेंस में हबीबुर्ररहमान ने कहा कि तीन बार कांग्रेस का विधायक रहने के बाद जब कांगे्रस ने चैथी बार उम्मीदवार नहीं बनाया तो उन्होंने भाजपा से टिकिट हासिल कर लिया। भाजपा के टिकिट पर दो बार नागौर से विधायक रहे। लेकिन तीसरी बार भाजपा ने टिकिट नहीं दिया तो वे फिर से कांगे्रस में शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि नागौर की जनता चाहती है कि वे विधायक बने रहे। इसलिए जब भाजपा ने उम्मीदवार नहीं बनाया तो मतदाताओं ने दबाव डाला कि वे निर्दलीय चुनाव लडे़। इसलिए मैं कांग्रेस में शामिल हो रहा हंू। हालांकि मैंने टिकिट की शर्त नहीं लगाई है लेकिन चुनाव लड़ना किसे अच्छा नहीं लगता। मैं उम्मीद करता हंू कि मेरे नागौर के लोगों की भावनाओं के अनुरूप कांग्रेस मेरी उम्मीदवारी पर निर्णय लेगी। मुझे खुशी है कि मैं मेरे मरहुम पिता की पार्टी में वापस आ गया है। मेरे पिता दो बार कांगे्रस के टिकिट पर विधायक बने। हबीबुर्ररहमान ने अपने परिवार की राजनीति का जो बखान किया उससे जाहिर है कि आजादी के बाद सात बार वे और उनके पिता नागौर से विधायक रहे हैं। हबीबुर्ररहमान ने  अजमेर से भी लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्होंने सफलता नहीं मिली। अब देखना है कि कांग्रेस हबीबुर्ररहमान को उम्मीदवार बनाती है या नहीं। यदि उम्मीदवार नहीं बनाया जाता है तो नागौर के समर्थकों का दबाव रहेगा कि हबीबुर्ररहमान निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े।
एस.पी.मित्तल) (14-11-18)
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