क्या पाकिस्तान की तरफदारी करने से भारत में मिलते हैं वोट?

क्या पाकिस्तान की तरफदारी करने से भारत में मिलते हैं वोट?
महबूबा के बयानों से तो ऐसा ही लगता है।
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21 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान की सीमा से लगे राजस्थान के बाड़मेर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि पाकिस्तान हमें बार बार परमाणु बम की धौंस देता है तो क्या भारत ने अपने परमाणु बम दीपावली पर फोडऩे के लिए रखे हैं? एक तरह से हमारे प्रधानमंत्री ने परमाणु बम के मुद्दे पर पाकिस्तान को चेतावनी थी। मोदी के इस बयान पर पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की कोई प्रतिक्रिया आती इससे पहले ही जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम और पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कह दिया कि पाकिस्तान ने भी अपने परमाणु बम ईद पर फोडऩे के लिए नहीं रखे हैं। यानि पाकिस्तान अपने परमाणु बम भारत पर गिरा सकता है। भारत में इन दिनों लोकसभा के चुनाव चल रहे हैं। महबूबा का बयान 22 अप्रैल को सामने आया, जबकि भारत में लोकसभा के तीसरे चरण का मतदान 23 अप्रैल को हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान की तरफदारी करने से भारत में किन्हीं राजनीतिक दलों को वोट मिलते हैं? ऐसा नहीं होता तो हमारे देश के राजनेता पाकिस्तान के प्रति प्रेमभाव नहीं दिखाते। पाकिस्तान की तरफदारी करने में महबूबा अकेली नहीं है, बल्कि नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस आदि के नेता भी शामिल हैं। इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि जो पाकिस्तान हमारे देश में आतंकी गतिविधियां करवाता है, उस पाकिस्तान की तरफदारी हमारे ही नेता करते हैं। दुनिया में भारत एक ऐसा मुल्क होगा, जहां के राजनेता खुलेआम अपने देश की ही बुराई और दुश्मन देश पाकिस्तान की बढ़ाई करते हैं। महबूबा जैसे पाकिस्तान परस्त नेताओं से यह पूछा जाना चाहिए कि यदि पाकिस्तान ने भारत पर परमाणु बम फोड़ा तो उनका क्या होगा? क्या वे बम फूटने से पहले पाकिस्तान चली जाएंगी? असल में ऐसे बयान देकर महबूबा पाकिस्तान के हुक्मरानों को खुश करना चाहती है ताकि पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठनों के पदाधिकारी कश्मीर को भारत से छीन कर पाकिस्तान परस्त नेताओं को दे दें। भारत को तोडऩे का ख्वाब महबूबा का कभी पूरा नहीं होगा। मौजूदा समय में हमारी सेनाओं ने आतंकियों की कमर तोड़ दी है तथा अब हमारी सेनाएं पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को मार रही है। भारत का हर नागरिक चाहता है कि आतंकियों को इसी तरह जवाब दिया जाए। अब कश्मीर के अलगाववादियों को भी दिल्ली में बिरयानी नहीं खिलाई जाती। बल्कि कुछ अलगाववादियों को तो कश्मीर की जेलों से दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया है। इससे उनके आका भी बिलबिला रहे हैं।
एस.पी.मित्तल) (23-04-19)
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