राजस्थान से गजेन्द्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल व राज्यवद्र्वन सिंह राठौड़ के साथ कैलाश चैधरी भी केन्द्रीय मंत्री की शपथ लेंगे।

राजस्थान से गजेन्द्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल व राज्यवद्र्वन सिंह राठौड़ के साथ कैलाश चैधरी भी केन्द्रीय मंत्री की शपथ लेंगे। पीपी चैधरी, हनुमान बेनीवाल और वसुंधरा राजे के पुत्र का नाम पहले चरण में नहीं। ओम प्रकाश माथुर, भूपेन्द्र यादव की भूमिका फिलहाल संगठन में ही रहेगी। संसद में राहुल का मुकाबला मेनका गांधी से हो सकता है।

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30 मई को शाम 7 बजे राष्ट्रपति भवन में नरेन्द्र मोदी दोबारा से प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। मोदी के साथ जिन मंत्रियों को शपथ लेनी है, उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय से फोन मिले हैं। इनमें राजस्थान से गजेन्द्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल, राज्यवद्र्वन सिंह राठौड़ तथा बाड़मेर के सांसद कैलाश चैधरी का नाम शामिल है। शेखावत, मेघवाल और राठौड़ पूर्ववर्ती सरकार में भी राज्य मंत्री थे। माना जा रहा था कि नागौर के सांसद और आरएलपी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह भी मंत्री पद की शपथ लेंगे। लेकिन प्रतीत होता है कि पहले चरण में इन दोनों के नाम शामिल नहीं है। बाड़मेर जैसलमेर संसदीय क्षेत्र के भाजपा सांसद कैलाश चैधरी ने भाजपा के दिग्गज नेता रहे जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह को हराया है। यह मुकाबला बेहद कड़ा था। चैधरी की एन्ट्री हो जाने से बेनीवाल का पक्ष कमजोर हो गया। इसी प्रकार शेखावत और राठौड़ को दोबारा से मंत्री बनाने की वजह से दुष्यंत सिंह का पक्ष कमजोर रहा। हालांकि वसुंधरा राजे चाहती थी कि दुष्यंत सिंह को मंत्रीमंडल में शामिल किया जाए। सूत्रों की माने तो राजे ने बाड़मेर और जोधपुर में नकारात्मक भूमिका निभाई। राजे बाड़मेर से महेन्द्र चैधरी को भाजपा का उम्मीदवार बनवाना चाहती थी। चैधरी ने पुलिस के आईजी के पद से इस्तीफा भी दिया था। राजस्थान की सभी 25 सीटों पर भाजपा को जीत हासिल हुई है, लेकिन मंत्री उन्हें ही बनाया जा रहा है जिनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। गजेन्द्र सिंह शेखावत ने जोधपुर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को हराया है। राज्यवद्र्वन सिंह राठौड़ पिछले कार्यकाल में नरेन्द्र मोदी की आंख के तारे रहे। राठौड़ को स्वतन्त्र प्रभार का खेल मंत्रालय दिया गया। इसके साथ ही वे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के राज्य मंत्री थे, लेकिन इस विभाग के दो मंत्रियों के हटने के बाद मोदी ने राठौड़ को ही इतना महत्वपूर्ण मंत्रालय दे दिया। अर्जुन राम मेघवाल की साफ-सुथरी छवि को ध्यान में रखते हुए दोबारा से मौका दिया गया है। कैलाश चैधरी के आ जाने से पीपी चैधरी का पत्ता कट गया है। जानकार सूत्रों के अनुसार मंत्रीमंडल के अगले विस्तार में राजस्थान के कुछ सांसदों को और मौका मिल सकता है। अलबत्ता बेनीवाल के मंत्री नहीं बनने से उनके समर्थक मायूस हुए है।
माथुर और यादव की भूमिका:
23 मई को जब भाजपा को अपने बूते पर 300 से ज्यादा सीटें मिली, तब यह कयास लगाया गया कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम प्रकाश माथुर और महामंत्री भूपेन्द्र यादव को इस बार मंत्रीमंडल में शामिल किया जाएगा। लोकसभा चुनाव में माथुर गुजरात के और यादव बिहार के प्रभारी थे। गुजरात में सभी 26 सीटों पर भाजपा की जीत हुई तो बिहार में 40 में से 39 सीटों पर भाजपा और जेडीयू की जीत हुई। माथुर और यादव लम्बे अरसे से संगठन में काम कर रहे है। दोनों को राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के भरोसे का माना जाता है, लेकिन 30 मई को इन दोनों को प्रधानमंत्री कार्यालय से फोन नहीं आया, इससे प्रतीत होता है कि इन दोनों की भूमिका फिलहाल संगठन में ही बनी रहेगी। दोनों राजस्थान से राज्यसभा के सांसद है।
राहुल का मुकाबला मेनका से:
मोदी के पिछले कार्यकाल में शामिल अधिकांश मंत्रियों को इस बार भी शपथ दिलवाई जा रही है, लेकिन इसमें मेनका गांधी का नाम शामिल नहीं है। जबकि मेनका गांधी लगातार आठवीं बार लोकसभा का चुनाव जीती है। मेनका के पुत्र वरूण गांधी भी दूसरी बार सांसद बन गए हैं। माना जा रहा है कि मेनका गांधी को लोकसभा का अध्यक्ष बनाया जाएगा। यदि ऐसा होता है तो मेनका गांधी का मुकाबला कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से होगा। लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है और अब राहुल गांधी चाहते हैं कि लोकसभा में प्रतिपक्ष का नेता बन जाए। हालांकि अधिकृत तौर पर प्रतिपक्ष का नेता बनने के लिए 55 सांसद चाहिए जबकि कांग्रेस के पास 52 सांसद ही है, लेकिन गत बार भी 44 सांसदों पर कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे को प्रतिपक्ष का नेता मान लिया गया था। यानि मेनका गांधी लोकसभा की अध्यक्ष बनती है तो राहुल गांधी को संसद में बोलने के लिए मेनका गांधी से इजाजत लेनी होगी। उल्लेखनीय है कि मेनका गांधी रिश्ते में राहुल गांधी की चाची लगती है, लेकिन दोनों परिवारों के सम्बन्ध बेहद खराब है।
एस.पी.मित्तल) (30-05-19)
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