राहुल गांधी और एनडीटीवी को कश्मीर घाटी के हालात बहुत खराब नजर आते हैं। 

राहुल गांधी और एनडीटीवी को कश्मीर घाटी के हालात बहुत खराब नजर आते हैं।
प्रशासन ने कहा-छह दिन में एक भी स्थान पर गोली नहीं चली।
ईद पर उल्लासपूर्ण माहौल।

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10 अगस्त की आधी रात को जब श्रीमती सोनिया गांधी को फिर कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष तय किया जा रहा था, तब कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक को बीच में छोड़ कर राहुल गांधी कांग्रेस मुख्यालय से बाहर आए और मीडिया से कहा कि कश्मीर घाटी के हालात बहुत खराब हैं। प्रधानमंत्री को देश के सामने स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। सरकार ने अनुच्छेद 370 में जो बदलाव किया है, उससे कश्मीर के लोगों में नाराजगी है। ऐसी ही खबरों का प्रसारण एनडीटीवी न्यूज चैनल पर हो रहा है। देश के तमाम टीवी चैनल कश्मीर घाटी के आतंकग्रस्त जिले श्रीनगर, अनंतनाग, पुलवामा आदि में जाकर सामान्य स्थिति दिखा रहे हैं, लेकिन एनडीटीवी को घाटी में हालात सामान्य नजर नहीं आते और न ही जम्मू व लद्दाख में जश्न मनाते मुसलमान नजर आते है। एनडीटीवी के अधिकांश संवाददाताओं को सामान्य स्थिति कहीं भी नजर नहीं आती है। यह बात अलग है कि एनडीटीवी के पास हालात बिगडऩे वाले फुटेज नहीं है। संवाददाता राहुल गांधी की तरह मुंह जुबानी हालात खराब बता रहे हैं। एनडीटीवी को तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विशेष अधिकार मिले हुए हैं, लेकिन राहुल गांधी तो एक जिम्मेदार संासद हैं। राहुल को यह बताना चाहिए कि आखिर कश्मीर में किस स्थान पर हालात बिगड़े हैं। जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से पहले ही कहा जा रहा है कि अफवाहें न फैलाई जाएं। लेकिन एनडीटीवी और राहुल गांधी के प्रशासन की अपील समझ में नहीं आ रही है। शायद दोनों को ही हालात बिगडऩे का बेसब्री से इंतजार हैं। यह तब है जब अनुच्छेद 370 में बदलाव पर जम्मू कश्मीर सहित पूरा देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैसले का स्वागत कर रहा है। राहुल गांधी और एनडीटीवी चाहे कुछ भी दावा करें, लेकिन जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से कहा गया है कि पिछले छह दिनों में कश्मीर घाटी में किसी भी स्थान पर गोली चलने की घटना नहीं हुई है। आतंकग्रस्त जिलों में भी हालाता तेजी से  सामान्य हो रहे हैं। बाजारों में दुकानें खुलने लगी हैं। इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद होने की स्थिति को देखते हुए 200 स्थानों पर सैटेलाइट फोन की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। लोगों की बात अपने रिश्तेदारों से करवाई जा रही है। राशन की दुकानें खुली हैं। मोबाइल वेन से राशन घरो पर भी पहुंचाया जा रहा है। 12 अगस्त को ईद के पर्व पर पाबंदियों में छूट दी जा रही है। प्रशासन ने कश्मीरियों को हिदायत दी है कि वे ईद पर ऐसा कोई कृत्य नहीं करें, जिससे सख्ती दोबारा से करनी पड़े। प्रशासन के लिए राहत की बात यह हे कि अधिकांश कश्मीरी शांति चाहते हैं। यही वजह है कि प्रशासन अब स्थानीय नागरिकों का सहयोग मिल रहा है। जम्मू कश्मीर राज्य केन्द्र शासित बन जाने के बाद भी प्रशासन के प्रमुख पदों पर पहले की तरह मुस्लिम अफसर नियुक्त हैं। ऐसे मुस्लिम पूरी मुस्तैदी से हालातों पर अफसर नियंत्रण कर रहे हैं। चाहे राहुल गांधी का झूठ हो या फिर एनडीटीवी की मनगढंत कहानियां, सभी का खंडन कश्मीर के पुलिस अफसर ही कर रहे हैं। घाटी के जिन स्थानों पर पत्थरबाजी होती थी, वहां अब पूर्ण शांति बनी हुई हैं। सब जानते हैं कि 5 अगस्त से पहले घाटी के हालात कितने बुरे थे। ऐसे हालातों में सुधारने में थोड़ा समय तो लगेगा ही। जो कश्मीरी पाकिस्तान से पैसे लेकर हमारे सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने और खुलेआम पाकिस्तान के झंडे लहराने का काम करते थे, उन्हें एक सप्ताह में लाइन पर नहीं लाया जा सकता। राहुल गांधी और एनडीटीवी तो चाहते हैं कि अनुच्छेद 370 में बदलाव के फैसले का स्वागत पत्थरबाज अब तिरंगा हाथ में लेकर करें। पत्थरबाज भी तिरंगा हाथ में लेंगे, लेकिन थोड़ा समय लगेगा। राहुल और एनडीटीवी को इंतजार करना चाहिए। यदि एनडीटीवी राष्ट्रहित में प्रसारण करेगा तो प्रशासन उसके रिमोटरों को भी घाटी में कवरेज करवाएगा।
एस.पी.मित्तल) (11-08-19)
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