जीवन के लिए पर्यावरण को बचाना जरूरी।

जीवन के लिए पर्यावरण को बचाना जरूरी।
पेड़ कटने से ही आज इतनी गर्मी है।
भगवंत यूनिवर्सिटी में बना विश्व पर्यावरण दिवस।
पुष्कर सरोवर में 50 टेंकरों से रोजाना पानी डाला जाएगा।

==========
5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर अजमेर में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसी क्रम में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी भगवंत यूनिवर्सिटी में भी पर्यावरण बचाने का संकल्प लिया गया। यूनिवर्सिटी के चेयरमैन डॉ. अनिल सिंह ने कहा कि मनुष्य ही नहीं बल्कि सभी प्रकार के जीवों को बचाने के लिए पर्यावरण को बचाना जरूरी है। मनुष्य ने अपने स्वार्थों की वजह से जंगल को नष्ट कर कांक्रीट के महल खड़े कर लिए हैं। लगातार पेडों के कटने की वजह से आज इतनी गर्मी पड़ रही है। भारत की सनातन संस्कृति तो पर्यावरण पर ही आधारित है। हमने तो पेड़ को देवता के रूप में माना है। विज्ञान ने लम्बी खोज के बाद माना कि पीपल का पेड़ चौबीस घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है, जबकि हम तो सतयुग से ही पीपल के पेड़ की पूजा करते आ रहे हैं। हमारी संस्कृति विज्ञान से बहुत आगे है। उन्होंने कहा कि आज विदेशी लोग हमारे वेदों का अध्ययन कर तरक्की कर रहे हैं। समारोह में यूनिवर्सिटी के वाइंसचांसलर वीके शर्मा ने कहा कि पर्यावरण नहीं बचा तो मनुष्य का जीवन भी नहीं बचेगा। हम गर्मी के मौसम में ठंडक पाने के लिए एसी का इस्तेमाल करते हैं, जबकि यह पर्यावरण को और बिगाड़ता है। हमें ठंडक पाने के लिए प्राकृति उपाय करने चाहिए। कृत्रिम उपकरणों की वजह से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। इन दिनों देशभर में जो भीषण गर्मी महसूस हो रही है उसका कारण भी पर्यावरण का बिगडऩा है। यदि हम पेड़ नहीं काटते तो आज इतनी गर्मी नहीं होती। बिगड़ते पर्यावरण के कारण ही अनेक बीमारियां जन्म ले रही हैं। कई बार चिकित्सक भी बीमारियों के कारण नहीं जान पाते हैं। ऐसी बीमारियां बिगड़े पर्यावरण की वजह से होती है। डॉ. शर्मा ने उम्मीद जताई कि यूनिवर्सिटी के चेयरमैन अनिल ने पर्यावरण को बचाने के लिए जो संकल्प करवाया है उस पर यूनिवर्सिटी के शिक्षक और विद्यार्थी अमल करेंगे। समारोह में यूनिवर्सिटी के डीन धर्मेन्द्र दुबे ने बताया कि यूनिवर्सिटी परिसर में पेड़ लगाने स्वच्छता अभियान चलाने, सोर ऊर्जा, बायो गैस, बायो खाद, सीएनजी वाहनों का इस्तेमाल, वाटर हारर्वेस्टिंग तकनीक अपनाकर पर्यावरण को स्वच्छ रखने का कार्य चल रहा है। पर्यावरण को बचाने के लिए विद्यार्थियों के बीच विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं भी करवाई जा रही है। इस अवसर पर डॉ. सीएम राजोरिया, डॉ कार्तिक, डॉ. रविन्द्र नाथ, डॉ दिग्विजय, डॉ. संदीप, डॉ. मुन्ना वर्मा, संजय चौधरी, पुष्पेन्द्र, मिथिलेश, अतुल, अभिषेक, ओम शिव, अमर सिंह,  दुर्गेश, आनंद आदि ने भी समारोह को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई।  यूनिवर्सिटी की वाइंस चेयरमैन डॉ. आशा सिंह ने कार्यक्रम की सराहना की।
पुष्कर सरोवर में 50 टेंकरों से पानी:
पूर्वांचल जनचेतना समिति चेरीटेबिल ट्रस्ट भीलवाड़ा के ट्रस्टी रजनीश कुमार वर्मा ने बताया कि पुष्कर सरोवर में रोजाना पचास टेंकरों के माध्यम से पानी डाला जाएगा। ताकि आने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो। वर्मा ने बताया कि उनकी संस्था वर्षों से सामाजिक सरोकारों से जुड़ी हुई है। पुष्कर सरोवर के संरक्षण के लिए जो कमेटी बनाई गई है। उसका मुख्य संरक्षक एलएनजे ग्रुप के प्रबंध निदेशक रिजु झुनझुनवाला हैं। झुनझुनवाला के सहयोग से ही पुष्कर में समाज सेवा के कार्य शुरू किए गए हैं। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पांच जून को पुष्कर सरोवर पर साफ-सफाई और पूजा पाठ का कार्य भी किया गया। समिति के प्रवक्ता राजेन्द्र याग्निक ने बताया कि कुंडों की सफाई एवं फीडर पर श्रमदान भी होगा। पांच जून को हुए कार्यक्रम में राजेन्द्र गोयल, दामोदर शर्मा, शिव  कुमार बंसल, अरुण पाराशर आदि ने भी भाग लिया।
ट्यूबवैल खुदवाएं:
पुष्कर के सामाजिक कार्यकर्ता अरुण पाराशर ने कहा कि जिला प्रशासन को ट्यूबवैल खुदवाकर सरोवर में पानी डालने का काम करना चाहिए। पूर्व में जो ट्यूबवैल स्वीकृत हुए थे वे अभी तक भी नहीं खुद पाए हैं। तीन चार ट्यूबवैल के जरिए जो पानी डाला जा रहा है वह भी अपर्याप्त है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जिला कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा का ध्यान आकार्षित किया गया था, लेकिन उन्होंने भी अभी तक कोई प्रभाव कार्यवाही नहीं की है। सरोवर के किनारे बने अधिकांश कुंड क्षतिग्रस्त है जिन में पानी रुक नहीं पाता।
एस.पी.मित्तल) (05-06-19)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
===========
Print Friendly, PDF & Email

You may also like...