आक्रांता मुगल शासकों के नाम तो हिंदुस्तान के विभाजन के समय ही हटा दिए जाने चाहिए थे। अब तक देश के 10 राज्यों में हिन्दू समुदाय अल्पसंख्यक हो चुका है। सहिष्णु हिन्दू तो दरगाहों में जाकर जियारत करता है।

यह कोई हिन्दू और मुसलमानों का विवाद नहीं है, क्योंकि असली विवाद तो 1947 में हिंदुस्तान के विभाजन के समय ही हो गया था। उस समय मुस्लिम समुदाय के नेतृत्व करने वाले मोहम्मद अली जिन्ना ने साफ कह दिया कि मुसलमानों को अपना मुस्लिम देश चाहिए। जिन्ना की जिद की वजह से ही हिन्दुस्तान को तोड़ कर पाकिस्तान बनाया गया। कायदे से उसी समय हिन्दुस्तान से आक्रांता मुगल शासकों के नाम हटा दिए जाने चाहिए थे, लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि देश की राजधानी दिल्ली में आज भी हुमायूं रोड, अकबर रोड, शाहजहांरोड, औरंगजेब रोड, कुतुबुद्दीन रोड दौड़ रहे हैं। सब जानते हैं कि मुगल शासकों ने हिंदुस्तान पर किस नीयत से 600 वर्षों तक राज किया। हिन्दू धर्म स्थलों को सरे आम तोड़ा गया। बड़े पैमाने पर जबरन धर्म परिवर्तन करवाया गया। सिक्ख धर्म गुरुओं की कुर्बानी का तो लंबा इतिहास है। जिस नीयत से मुगलों ने शासन किया, उसी नीयत से 1947 में पाकिस्तान का जन्म हुआ। तब पाकिस्तान को तो मुस्लिम राष्ट्र मान लिया गया, लेकिन हिंदुस्तान को धर्मनिरपेक्ष देश घोषित करवा दिया। धर्म निरपेक्षता की आड़ में ही जो राजनीतिक षडय़ंत्र हुआ, उसी का परिणाम है कि आज देश के दस राज्यों में हिन्दू समुदाय अल्पसंख्यक हो गया है। अब यदि आक्रांता मुगल शासकों के नाम और चिन्ह हटाने की बात कही जाती है तो हिन्दू मुस्लिम विवाद खड़ा कर दिया जाता है। मुगल शासकों को तो मुस्लिम देश पाकिस्तान में नवाजा जाना चाहिए। हिंदुस्तान ने तो ऐसे शासकों के जुल्म सहे हैं। लेकिन फिर भी मुगल शासकों का हिंदुस्तान में महिमामंडन हो रहा है। मुस्लिम देशों के मुसलमान भी मानते हैं कि हिंदुस्तान में मुसलमानों का जितना मान सम्मान है, उतना किसी भी मुस्लिम राष्ट्र में नहीं है। इसके हिन्दू समुदाय का उदार मन है। भले ही मुगलों ने हिन्दुओं पर अत्याचार किए। लेकिन आज भी करोड़ों हिन्दू सूफी संतों की दरगाहों में जाकर जियारत की रस्म अदा करते हैं। जियारत करने वाले हिन्दुओं ने कभी यह सवाल खड़ा नहीं किया कि कितने मुसलमान मंदिरों में जाकर पूजा पाठ करते हैं? असल में हिन्दुओं का सनातन धर्म बहुत ही सहिष्णु है। हिन्दू धर्म में सभी धर्मों का सम्मान करने की सीख दी गई है। हिन्दू धर्म कभी कट्टरपंथता नहीं सीखाता। यदि हिन्दू कट्टरपंथी होता तो 1947 में ही मुगल शासकों के नाम और चिन्हों को उखाड़ फेंकता। विभाजन के समय पाकिस्तान में हिन्दुओं पर जो जुल्म हुए, वह किसी से छिपी नहीं है, लेकिन फिर भी धर्मनिरपेक्षता की दुहाई दी गई। धर्म निरपेक्षता की दुहाई देकर ही साठ वर्षों तक सत्ता का सुख भोगा जाता रहा और अब देश ऐसे मुकाम पर खड़ा है, जहां हनुमान चालीसा पढ़ाना गुनाह हो गया है। खुलेआम कहा जा रहा है कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों से हिन्दू समुदाय शोभायात्राएं न निकालें। जबकि हिन्दू समुदाय के लोग मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में बनी दरगाहों में जाकर सजदा कर रहे हैं। जो लोग आज आक्रांता मुगल शासकों के पक्ष में खड़े हैं, वे माने या नहीं लेकिन आम मुसलमान हिन्दुओं के साथ रह कर ही सुरक्षित है। पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश आदि में आम मुसलमान की दयनीय स्थिति को देखा जा सकता है। आतंकवाद के कारण आए दिन मुस्लिम राष्ट्रों में विस्फोट हो रहे हैं। अभी भी समय है, जब हिंदुस्तान को बचाया जा सकता है, अन्यथा आने वाले दिनों में परिणाम बहुत गंभीर होंगे, तब उन्हें भी पछताना पड़ेगा, जो आज आक्रांताओं के हिमायती बने हुए हैं। 
इन दस राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक बना:
सुप्रीम कोर्ट में अश्विनी कुमार उपाध्याय ने एक याचिका दायर की है। इस याचिका में बताया गया है कि लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, पंजाब, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में हिन्दू समुदाय अल्पसंख्यक की श्रेणी में आ गया है। इसलिए इन राज्यों में हिन्दू समुदाय के लोगों को केंद्र और राज्य सरकार की अल्पसंख्यक योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। हालांकि उपाध्याय की याचिका पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया है। लेकिन अभी केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (11-05-2022)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511

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