गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए राजस्थान भाजपा की कोर कमेटी की बैठक 21 अक्टूबर को दिल्ली में होगी। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का विवाद हल किए बगैर विरोध को धार नहीं दी जा सकती।

राजस्थान में 14 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा की कोर कमेटी की बैठक 21 अक्टूबर को दिल्ली में होगी। इस बैठक की अध्यक्षता भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडड़ा करेंगे। बैठक में कांग्रेस सरकार के खिलाफ संभाग स्तर पर होने वाली जनआक्रोश रैली को लेकर रणनीति बनाई जाएगी। जानकार सूत्रों के अनुसार रैलियों का समापन जयपुर में होगा। समापन रैली को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे। इसलिए जयपुर रैली में पांच लाख से भी ज्यादा लोगों की भीड़ जुटाने की रणनीति है। भाजपा की कोर कमेटी में प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, विधायक दल के नेता गुलाब चंद कटारिया, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, ओम प्रकाश माथुर, संगठन महासचिव चंद्रशेखर, राजेंद्र राठौड़, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल, कैलाश चौधरी, राजेंद्र गहलोत, कनकमल कटारा, सांसद सीपी जोशी शामिल हैं। इसके साथ ही विशेष आमंत्रित सदस्यों में प्रभारी महासचिव अरुण सिंह, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती भारती बेन तथा राष्ट्रीय सचिव श्रीमती अल्का गुर्जर शामिल किया गया है। एक राजनीतिक दल के नाते भाजपा की यह अच्छी कवायद है, लेकिन राजस्थान भाजपा में जब तक पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का विवाद खत्म नहीं होता, तब तक भाजपा के विरोध को धार नहीं दी जा सकती है। सब जानते हैं कि राजे को अमित शाह के कार्यकाल में ही पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना रखा है, लेकिन राजे की रुचि राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होने के बजाए राजस्थान में ही है। यही वजह है कि राजे कभी अपने जन्मदिन पर तो कभी धार्मिक पर्यटन की आड़ में शक्ति प्रदर्शन करती रहती हैं। अभी जब कांग्रेस में आंतरिक विवाद चरम पर है, तब भी राजे का धार्मिक पर्यटन जारी है। राजे जब भी सक्रिय होती हैं तब भाजपा की फूट उजागर होती है। इससे कांग्रेस नेताओं को भी हमला करने का अवसर मिल जाता है। भाजपा के प्रदेश नेतृत्व से चल रहे विवाद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी के प्रादेशिक कार्यक्रमों में राजे शामिल नहीं होती हैं। नरेंद्र मोदी, अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की उपस्थिति में होने वाले कार्यक्रमों में ही राजे शामिल होती हैं। प्रादेशिक नेता भी राजे के बगैर ही कार्यक्रम करते रहते है। राजे जब पार्टी के अधिकृत कार्यक्रमों के बजाए अपने निजी कार्यक्रमों में सक्रिय होती हैं तो कांग्रेस की तरह भाजपा की फूट भी उजागर होती है। समर्थक चाहते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में वसुंधरा  राजे को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए, जबकि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व इस बार पीएम मोदी और पार्टी के चिन्ह पर ही चुनाव लड़ना चाहता है। देखना होगा कि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व राजे के विवाद का समाधान किस प्रकार करता है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (20-10-2022)
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