सरकारी जमीन और रियायत नहीं लेने वाले प्राइवेट अस्पतालों पर राइट टू हेल्थ कानून लागू नहीं होगा। डॉक्टरों और सरकार के बीच सहमति बन गई है-डॉ. विजय कपूर। अनेक अस्पताल समझौते पर सहमत नहीं। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की याचिका पर हाईकोर्ट से दूसरे जज प्रवीण भटनागर ने भी सुनवाई से इंकार किया। याचिका में संजीवनी क्रेडिट सोसायटी के मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग है।

राजस्थान भर के लोगों के लिए यह खुशखबरी है कि प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टरों और सरकार के बीच राइट टू हेल्थ बिल को लेकर सहमति बन गई है। गत 20 मार्च से प्रदेशभर के चार हजार से भी ज्यादा प्राइवेट अस्पताल इस बिल के विरोध में बंद पड़े थे। डॉक्टरों की हड़ताल के अगवा डॉ. विजय कपूर ने भी कहा है कि 4 अप्रैल को मुख्य सचिव उषा शर्मा के साथ जो वार्ता हुई उससे संतुष्ट है। जानकारी के मुताबिक सरकार ने भी हड़ताली डॉक्टरों की इस बात को स्वीकार कर लिया है कि जिन प्राइवेट अस्पतालों ने रियायती दर पर सरकारी जमीन और सुविधाएं नहीं ली है उन पर बिल के कानून लागू नहीं होंगे। इसी प्रकार जिन प्राइवेट अस्पतालों में अपनी निजी भूमि पर मानचित्र के विरुद्ध निर्माण किया है उन्हें भी संबंधित निकाय स्वीकृत करेंगे। डॉक्टरों की सहमति के बाद अब पिछले पन्द्रह दिनों से चली आ रही प्राइवेट डॉक्टरों की हड़ताल समाप्त होने जा रही है। सरकार ने इमरजेंसी की परिभाषा में भी स्पष्टता करने का आश्वासन दिया है। 4 अप्रैल को ही जयपुर में प्रदेशभर के प्राइवेट डॉक्टर्स और चिकित्सा कर्मी बड़ी संख्या में एकत्रित हुए। इस भीड़ का भी सरकार पर दबाव देखा गया। इससे एक दिन पहले प्रदेशभर के प्राइवेट अस्पतालों ने संबंधित मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र लिखकर चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना और  आरजीएचएस के नियमों के बाहर आने के लिए कहा था। जो अस्पताल पीपीपी मॉडल पर चल रहे हैं उनमें यदि सरकारी योजनाओं को लागू करने का उल्लेख नहीं है तो ऐसे अस्पताल भी राइट टू हेल्थ बिल के दायरे से बाहर होंगे। 
अनेक डॉक्टर सहमत नहीं:
सरकार और डॉक्टरों के बीच जो सहमति बनी उस पर अनेक  डॉक्टर सहमत नहीं है। जिन प्राइवेट अस्पतालों ने सरकार से रियायती दर पर जमीन ली उनका कहना है कि आंदोलन में हमने भी पूरा सहयोग किया। ऐसे में आरटीएच बिल हम पर लागू होना गलत है। जो अस्पताल वर्षो से चल रहे हैं और उनके पूर्वजों ने किन्हीं कारणों से सरकार से जमीन ली है तो अब काला कानून ऐसे अस्पतालों पर लागू नहीं किया जा सकता। वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. चुग का कहना है कि जिन अस्पतालों ने रियायती दर पर जमीन ली उन्होंने सरकार से वादा किया था कि सरकारी योजनाओं की क्रियान्विति भी की जाएगी। ऐसे में जमीन लेने वाले अस्पताल आरटीएच से इंकार नहीं कर सकते है।
केंद्रीय मंत्री शेखावत को झटका:
4 अप्रैल को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर स्थित मुख्य पीठ से झटका लगा है। शेखावत ने बहुचर्चित संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है।  4 अप्रैल को यह दूसरा अवसर रहा, जब हाईकोर्ट के जस्टिस प्रवीण भटनागर ने शेखावत की याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया। इससे पहले जस्टिस मनोज कुमार ने भी इस मामले से स्वयं को अलग कर लिया था। जस्टिस मनोज कुमार के इंकार के बाद ही कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने जस्टिस भटनागर को सुनवाई के लिए अधिकृत किया था। लगातार दो न्यायाधीशों द्वारा सुनवाई से इंकार करने पर शेखावत को झटका लगा है। यहां यह उल्लेखनीय है कि संजीवनी सोसायटी में हुए 900 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच एसओजी कर रही है। हालांकि एसओजी की प्राथमिक रिपोर्ट में शेखावत और उनके परिवार के सदस्यों के नाम नहीं है, लेकिन बाद की जांच पड़ताल में पीड़ित निवेशकों ने शेखावत और उनके परिजनों के नामों का उल्लेख किया है। इसी आधार पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी शेखावत और उनके परिवार पर गंभीर आरोप लगाए। शेखावत का कहना है कि राजनीतिक द्वेषता की वजह से उन्हें फंसाया जा रहा है। शेखावत ने हाईकोर्ट में जो याचिका दायर की है उसमें कहा है कि संजीवनी सोसायटी मल्टीस्टेट सोसायटी थी, इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (04-04-2023)
Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511

Print Friendly, PDF & Email

You may also like...