गहलोत शासन में सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक पताकाओ पर भी प्रतिबंध था, लेकिन अब भजन सरकार में भगवा पताकाओं की लहर। अजमेर में तूफान। यह होता है सत्ता परिवर्तन का असर। तमिलनाडु में 22 जनवरी को मंदिरों में नहीं हो सके धार्मिक आयोजन क्यों यहां अभी सनातन विरोधी स्टालिन सरकार है।

22 जनवरी को जब अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह हुआ तो अजमेर सहित राजस्थान भर में धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रही। सनातन धर्म के मानने वालों ने मंदिरों को सजाया, बाजारों में भंडारे किए, युवाओं ने भगवा रैली निकाली तथा जगह जगह सनातन धर्म के प्रतीक भगवा पताकाओं को लहराया। इन धार्मिक आयोजनों के लिए किसी भी संस्था ने प्रशासन से अनुमति नहीं ली। लोगों ने स्वतंत्र होकर अपनी धार्मिक भावनाओं को प्रकट किया।पूरे प्रदेश में 22 जनवरी को उत्साह और उमंग का माहौल देखा गया। गली कूचों तक में जय श्री राम का उद्घोष हुआ, लेकिन प्रदेश के किसी भी स्थान से विवाद या तनाव की घटना सामने नहीं आई। यह परिवर्तन राजस्थान में सत्ता में बदलाव की वजह से हुआ है। गत 3 दिसंबर को विधानसभा चुनाव में नतीजों में प्रदेश की जनता ने कांग्रेस से सत्ता छीनकर भाजपा को दे दी। भजनलाल शर्मा भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री बने तो अब स्वतंत्रता के साथ सनातन धर्म के आयोजन हो रहे हैं। सब जानते हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले तक राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी। गहलोत सरकार ने समय सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक पताकाओं को लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर होने वाली भजन संध्याओं की अनुमति की अनिवार्यता भी लागू की गई। धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी अनुमति लेने के लिए गिड़गिड़ाते देखे गए। कई धार्मिक संस्थाओं को तो जुलूस निकालने की अनुमति इसलिए नहीं दी गई कि जुलूस में सांप्रदायिक तनाव हो जाएगा। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राम नवमी और अन्य धार्मिक पर्वों के समय जो जोशीले नारे लगाए जाते हैं उसे सांप्रदायिक तनाव होता है। गहलोत ने कांग्रेस शासन में हुए करौली से लेकर जोधपुर तक के दंगों के लिए हिंदू संगठनों को जिम्मेदार ठहराया। पूरे प्रदेश ने देखा कि सिक तरह घरों की छतों से हिंदू संगठनों के जुलूस पर पथराव किया गया। गहलोत सरकार ने अपनी तुष्टिकरण की नीति पर अमल करते हुए धार्मिक पताकाओं तक पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन 22 जनवरी को प्रदेश की जनता ने देखा कि कहीं कोई विवाद नहीं हुआ। लोगों ने पूरी स्वतंत्रता के साथ धार्मिक भावनाओं को प्रकट किया। कांग्रेस के शासन में जो प्रशासन जुलूस निकालने के लिए अनुमति चाहता था, वही प्रशासन 22 जनवरी को धार्मिक आयोजनों की व्यवस्था और सुरक्षा देने में व्यस्त रहा। असल में प्रशासनिक तंत्र सरकार के इशारे पर ही काम करता है। राजस्थान की जनता ने 22 जनवरी को अहसास किया कि सत्ता परिवर्तन हो गया है। 
तमिलनाडु में रोक:
सब जानते हैं कि तमिलनाडु राज्य में मौजूदा समय में डीएमके की सरकार है और एमके स्टालिन मुख्यमंत्री है। स्टालिन के पुत्र और सरकार में मंत्री उदयनिधि ने विगत दिनों कहा था कि सनातन धर्म को खत्म किया जाना चाहिए। सरकार का इशारा समझते हुए तमिलनाडु के प्रशासन ने 22 जनवरी को मंदिरों में अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से जुडे धार्मिक आयोजनों को नहीं होने दिया। पहले कहा गया कि मंदिरों में होने वाले आयोजनों के लिए  प्रशासन से अनुमति ली जाए। जब धार्मिक संस्थाओं ने अनुमति के लिए आवेदन किया तो ऐसे आवेदनों पर कोई निर्णय नहीं लिया। यानि 22 जनवरी को तमिलनाडु के अधिकांश मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का लाइव प्रसारण नहीं हुआ और न ही धार्मिक अनुष्ठान हो सके। सरकार की इस बुरी नीयत पर अब हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किए हैं। स्टालिन सरकार से पूछा गया है कि 22 जनवरी के आयोजन के लिए कितने आवेदन प्राप्त हुए। और प्रशासन ने उस पर क्या कार्यवाही की। आरोप है कि स्टालिन सरकार ने मौखिक आदेश दिए इसलिए धार्मिक आयोजनों की अनुमति नहीं दी गई। स्टालिन सरकार में ऐसी विचारधारा के लोग बैठे हैं जो यह मानते हैं कि सनातन धर्म के आयोजनों से दूसरे धर्मों के लोगों की भावनाएं आहत होंगी। इस विचार को दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि क्योंकि भगवान राम ने तो बुराई को समाप्त करने के लिए तमिलनाडु के समुद्र से ही लंका की यात्रा की शुरुआत की थी। एक और भगवान राम की विचारधारा है जिसने रावण जैसी प्रगति को समाप्त किया वहीं अब तमिलनाडु में ऐसी विचारधारा सत्ता में है जिसे भगवान राम के समारोहों से भी डर लगता है। देखना है कि तमिलनाडु में राजस्थान की तरह सत्ता परिवर्तन कब होता है। 
अजमेर में भी भगवा लहर:
22 जनवरी को अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर अजमेर में भी भगवा लहर देखने को मिली। नया बाजार व्यापारिक एसोसिएशन ने विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए और एसोसिएशन के अध्यक्ष अमित ढाणी के नेतृत्व में पदाधिकारियों ने एक एक दुकान पर जाकर दुकान मालिक को राम दुपट्टा ओढ़ा तथा चार-चार लड्डू दिए। एसोसिएशन की इस पहल का सभी व्यापारियों ने स्वागत किया। इसी प्रकार नया बाजार चौपड़ स्थित जीडी सर्राफ प्रतिष्ठान के मालिक दिनेश गर्ग ने बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाकर समारोह का लाइव प्रसारण दिखाया। गर्ग की ओर से प्रसाद के तौर पर हलवा वितरित किया गया। प्राण प्रतिष्ठा के समय महाआरती भी की गई। बीके कौल नगर स्थित हनुमान विहार में प्राचीन बाल वीर हनुमान मंदिर में महाआरती के साथ-साथ मीठे चावल का प्रसाद श्रद्धालुओं को वितरित किया गया। मंदिर के उपासक भूपेश सांखला ने बताया कि सुबह से ही मंदिर में भजन कीर्तन के आयोजन हुए। इसी प्रकार दाहरसेन स्मारक स्थित सिद्धेश्वर मंदिर में भी प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया गया। हरिभाऊ उपाध्याय नगर विस्तार विकास समिति के अध्यक्ष एडवोकेट संदीप धाबाई ने बताया कि समारोह में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने भी शिकरत की। इस अवसर पर देवनानी ने अजमेर के राममय माहौल की प्रशंसा की। इसी प्रकार कोटड़ा स्थित राधा विहार कॉलोनी की महिलाओं ने भी प्रभात फेरी निकाली और मंदिर में आरती की। 

S.P.MITTAL BLOGGER (23-01-2024)

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