एक माह में कश्मीर घाटी में न गोली चली, न पत्थर। 

एक माह में कश्मीर घाटी में न गोली चली, न पत्थर।
सरकार की यही सबसे बड़ी उपलब्धि है।
जम्मू और लद्दाख में तो जश्न का माहौल।

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4 सितम्बर को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटे पूरा एक माह हो गया। इस एक माह में ईद का पर्व भी मना और चार शुक्रवार को जुमे की नमाज भी हुई। इस माह में सुरक्षा बलों को किसी भी स्थान पर गोली चलाने की जरुरत नहीं हुई और न ही किसी कश्मीरी ने जवानों पर पत्थर फेंके। 1980 के बाद से ही आए दिन आतंकी वारदातें तथा सुरक्षा बलों पर हमले हो रहे थे। लेकिन पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद जम्मू कश्मीर के हालात पूरी तरह बदल गए हैं। सरकार की यह सबसे बड़ी उपलब्धि है कि कश्मीर घाटी पूरी तरह शांत हैं। पाकिस्तान परस्त कुछ लोग कह सकते हैं कि घाटी में पाबंदियां सख्त है, इसलिए शांंति है। पाकिस्तान परस्त लोगों का यह तर्क बेमानी है, क्योंकि चरमपंथ के समय घाटी के आतंकियों की हरकतों का खामियाजा जम्मू और लद्दाख के लोगों को बेवजह उठाना पड़ता था। 5 अगस्त के बाद से जम्मू और लद्दाख में तो जश्न का माहौल है। यहां सरकार ने भी सारी पाबंदियां हटा ली है। कश्मीर घाटी के पांच सात जिलों में पाबंदियां लगी हुई है। यानि चरमपंथ सिर्फ पांच-सात जिलों में ही रह गया है। धीरे-धीरे इन जिलों में भी पाकिस्तान में बैठे हाफिज सईद और भारत में बैठे उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं का असर खत्म हो जाएगा, तब घाटी भी देश की मुख्य धारा से जुड़ जाएगी। चरमपंथ के समय जम्मू कश्मीर में चार चार माह तक कफ्र्यू के हालात रहे हैं, जबकि 370 हट तो मात्र एक माह हुआ है। सरकार पहले ही कह चुकी है कि ऐसे हालातों के लिए फिलहाल एक वर्ष तक की व्यवस्था है। जो पाकिस्तान परस्त अभी भी घाटी में अशांति होने के इंतजार में बैठे हैं। उन्हें मौजूदा हालातों से सबक लेना चाहिए। 3 सितम्बर को ही सैकड़ों कश्मीरी युवकों ने सेना का प्रशिक्षण लेकर देश सेवा का संकल्प लिया है। अब ऐसे कश्मीरी युवक ही सीमा पर जाकर पाकिस्तान को सबक सिखाएंगे। हाफिज सईद, अजहर मसूद जैसी आतंकी पाकिस्तान में बैठ कर कश्मीरी युवकों को हमारे सुरक्षा बलों के विरुद्ध इस्तेमाल करते थे, अब वो कश्मीरी युवक पाकिस्तान की सेना से मुकाबला करने को तैयार है। असल में अब कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान और उसके समर्थक अब्दुल्ला व मुफ्ती खानदान का खेल खत्म हो गया है। कश्मीर का अपना कानून होगा और अपना अलग झंडा होगा, यह बीते जाने की बात हो गई। जम्मू कश्मीर प्रांत से लद्दाख को अलग हो चुका है तथा जम्मू कश्मीर भी केन्द्र शासित प्रदेश है। यहां भी भारत का कानून लागू होता है। अब पाकिस्तान जिंदाबाद, हिन्दुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाना, राष्ट्रीय ध्वज जलाना आदि कृत्य देशद्रोह माना जाएगा। सरकार की यह भी उपलब्धि है कि कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को किसी भी देश का साथ नहीं मिला है। उल्टे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान और उसके प्रधानमंत्री इमरान खान की फजीहत हो रही है।
एस.पी.मित्तल) (04-09-19)
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