11 हजार पशु चिकित्सकों के स्थान पर राजस्थान में मात्र एक हजार नियुक्त।

11 हजार पशु चिकित्सकों के स्थान पर राजस्थान में मात्र एक हजार नियुक्त।
डिग्री के बाद भी बेरोजगार हैं चिकित्सक।
सात साल से नहीं हुई भर्ती। 

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हर सरकार ग्रामीण विकास का दवा करती है, लेकिन जमीनी हकीकत अलग होती है। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक राजस्थान में करीब 577 लाख पशुधन है। मानकों के अनुसार पांच हजार पशुधन पर एक चिकित्सक की नियुक्ति होनी चाहिए। इस लिहाज से राजस्थान के सरकारी पशु चिकित्सालयों में 11 हजार चिकित्सक होने चाहिए, लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण कहा जाएगा कि राजस्थान में मात्र एक हजार पशु चिकित्सक ही नियुक्त हैं। सरकार के ग्रामीण विकास के दावों की पोल तो तब खुलती है, जब स्वीकृत पदों पर भी नियुक्ति नहीं होती। राज्य सरकार ने 1937 पद स्वीकृत कर रखे हैं, लेकिन मौजूदा समय में 929 पद रिक्त पड़े हैं। एक ओर युवा डिग्री लेकर इधर-उधर भटक रहा है तो दूसरी ओर सरकारों के गैर जिम्मेदाराना रवैये की वजह से पिछले सात वर्षों से पशु चिकित्सकों की भर्ती नहीं हुई है। 577 लाख पशुधन की देखभाल मात्र एक हजार चिकित्सक कैसे कर रहे होंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। राजस्थान पशु चिकित्सक बेरोजगार संघ के बैनर तले हजारों युवा लम्बे अर्सें से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन निर्वाचित सरकारों में सुनने वाला कोई नहीं है। युवाओं को जो आंदोलन भाजपा के शासन में करना पड़ता था वहीं अब कांग्रेस के शासन में करना पड़ रहा है। कांग्रेस सरकार ने रिटायर आईएएस दीपक उप्रेती को राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया था ताकि विभिन्न पदों की भर्ती की प्रक्रिया को तेज किया जा सके, लेकिन अभी तक उप्रेती की प्रभावी भूमिका सामने नहीं आई है। आयोग की वजह से हजारों युवाओं को अभी धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है। राजस्थान पशु चिकित्सक बेरोजगार संघ के मीडिया प्रभारी डॉ. नरसीराम गुर्जर ने बताया कि सरकार ने 900 पदों पर भर्ती का प्रस्ताव आयोग के पास भिजवा दिया है, लेकिन आयोग के ढीले रवैये की वजह से भर्ती की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। बेरोजगार युवक आयोग में धक्के खाते हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है। पशु चिकित्सकों के आंदोलन के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9694005684 पर डॉ. नरसीराम गुर्जर से ली जा सकती है।
एस.पी.मित्तल) (02-10-19)
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