सुरक्षा कानून के लिए राजस्थान के पत्रकार एकजुट।

सुरक्षा कानून के लिए राजस्थान के पत्रकार एकजुट।
पुष्कर में आईएफडब्ल्यूजे का प्रदेश स्तरीय सम्मेलन। 

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12 जनवरी को पुष्कर के निकट एक रिसोर्ट में इंडियन फैडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफडब्ल्यूजे) का राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित हुआ। इसमें बड़ी संख्या में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया से जुड़े पत्रकारों ने भाग लिया। सम्मेलन में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई। फैडरेशन के प्रतिनिधियों ने सिलसिलेवार राजस्थान में पत्रकारों के साथ हुए दुव्र्यवहार की जानकारी दी और कहा कि प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए समुचित कानून नहीं होने की वजह से अपराधियों को सजा नहीं मिल पा रही है। पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर आम जनता तक खबरों को पहुंचाता है। कई बार ऐसी खबरों से राजनेताओं, अधिकारियों और समाज के दबंग व्यक्तियों को परेशानी होती है। ऐसे लोग पत्रकार और उसके परिवार को नुकसान पहुंचाते हैं। बेवजह पत्रकारों पर झूठे मुकदमें दर्ज किए जाते हैं, कई बार तो पुलिस ही अपने स्तर पर पत्रकारों से पत्रकारिता पर पूछताछ करने लग जाती है। जबकि पुलिस को ऐसा कोई अधिकार नहीं है। प्रशासन कई बार अपने अधिकारों से परे जाकर पत्रकारों को प्रताडि़त करता है, इसलिए प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने चाहिए। हालांकि संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन फिर कानून के तहत पत्रकारों को संरक्षण मिलना चाहिए। सम्मेलन में फैडरेशन के संभागीय अध्यक्ष मनवीर सिंह ने संभाग की गतिविधियों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अश्विनी दुबे ने कहा कि जिन परिस्थितियों में पत्रकार काम करते हैं उसे देखते हुए कानून का संरक्षण होना जरूरी है। भारतीय प्रेस परिषद के पूर्व सदस्य राजीव रंजन नाग ने कहा कि मौजूदा समय में पत्रकार विपरीत परिस्थितियों में अपना कार्य कर रहे हैं। डॉ. धु्रव कुमार, हबीब अख्तर, ओपी यादव आदि ने भी अपने विचार प्रकट किए। सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष उपेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि पत्रकार सुरक्षा कानून और पत्रकारों की विभिन्न समस्याओं को लेकर एक ज्ञापन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि ज्ञापन में पत्रकारों को फिर से पेंशन योजना शुरू करने, जनसम्पर्क निदेशालय में पत्रकारों के लम्बित प्रकरणों को शीघ्र निपटाने, पत्रकार और उसके आश्रित को चिकित्सा राशि बढ़ाने, उपखंड और जिला स्तर के पत्रकारों को अधिस्वीकृत करने, पत्रकारों को नि:शुल्क भूखंड देने आदि की मांग रखी गई है। कार्यक्रम के संयोजक सुरेन्द्र चतुर्वेदी ने कहा कि मौजूदा समय में पत्रकारों की सुरक्षा बेहद जरूरी हो गई है।
एस.पी.मित्तल) (12-01-2020)
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