सुप्रीम कोर्ट से मुकेश की याचिका खारिज।

सुप्रीम कोर्ट से मुकेश की याचिका खारिज। लेकिन निर्भया के बालात्कारियों और हत्यारों को अभी भी नहीं होगी फांसी।  एक फरवरी वाला डेथ वारंट धरा रह जाएगा। 

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29 जनवरी को बहुचर्चित निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस के दोषी मुकेश की उस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया, जिसमें राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका को खारिज करने की चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि दया याचिका को खारिज करने में राष्ट्रपति ने कोई जल्दबाजी नहीं की है। मुकेश के पास फांसी से बचने के अब सभी विकल्प समाप्त हो गए हैं, लेकिन निर्भया के बालात्कारियों और हत्यारों को अभी भी फांसी नहीं हो सकेगी। ऐसा दिल्ली के जेल नियमों के कारण होगा। जेल नियमों के अनुसार एक केस के सभी दोषियों को एक साथ फांसी का प्रावधान है। दोषियों को अलग अलग फांसी नहीं दी जा सकती । दोषी मुकेश के भले ही सभी कानूनी विकल्प खत्म हो गए हों, लेकिन फिर भी उसे शेष तीनों दोषियों के साथ ही फांसी होगी। चूंकि अभी दो दोषियों की क्यूरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है, इसलिए विशेष कोर्ट ने जो एक फरवरी को डेथवारंट जारी कर रखा है उसके अनुरूप फांसी नहीं हो सकती है। क्यूरेटिव याचिका के खारिज होने के बाद दोषी राष्ट्रपति के यहां से भी याचिका खारिज हो जाएगी, तब मुकेश की तरह एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति के निर्णय को चुनौती दी जाएगी। इन सब कानूनी प्रक्रिया में अभी काफी वक्त लगेगा। यह बात अलग है कि एक फरवरी के डेथ वारंट के मद्देनजर दिल्ली तिहाड़ जेल के प्रशासन ने फांसी की तैयारियां शुरू कर दी है। फांसी के चबूतरे की मरम्मत कराने के साथ यूपी से जल्लाद को भी बुला लिया गया है। लेकिन जेल प्रशासन को भी पता है कि एक फरवरी को डेथ वारंट पर अमल नहीं हो सकता है। जब तक एक भी दोषी का कानूनी विकल्प बचा है, तब तक किसी भी दोषी को फांसी नहीं दी जा सकती है। चार दोषियों में से सिर्फ मुकेश के सभी कानूनी विकल्प समाप्त हुए हैं। अभी अक्षय, पवन और विनय के कई विकल्प बाकी है। अभी यह नहीं कहा जा सकता कि चारों दोषियों को कब फांसी मिलेगी। निर्भया की माताजी आशा देवी ने 29 जनवरी के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर संतोष जताते हुए कहा कि देर से ही लेकिन एक एक दोषी के सारे विकल्प समाप्त हो रहे हैं। मैं तब तक चैन से नहीं बैठूंगी जब तक चारों दोषियों को फांसी नहीं मिलती। मेरा संघर्ष जारी रहेगा। मैं मेरी बेटी को न्याय दिलवाकर ही रहूंगी।
एस.पी.मित्तल) (29-01-2020)
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