मध्यप्रदेश की तरह राजस्थान में भी मिले पुलिस कर्मियों को साप्ताहिक अवकाश की सुविधा।

मध्यप्रदेश की तरह राजस्थान में भी मिले पुलिस कर्मियों को साप्ताहिक अवकाश की सुविधा।
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मध्यप्रदेश की तरह राजस्थान में भी कांग्रेस का शासन है। एमपी के सीएम कमलनाथ ने नव वर्ष के मौके पर अपने प्रदेश के पुलिसकर्मियों को बड़ा तोहफा दिया है। कमलनाथ ने अपने चुनावी वायदे के अनुरूप एमपी में एक जनवरी से सभी पुलिस कर्मियों को साप्ताहिक अवकाश देने की घोषणा कर दी है। इसके आदेश जारी हो गए हैं। यानि अब दफ्तरों में बैठे बाबुओं की तरह थाने पर तैनात पुलिस जवान को साप्ताहिक अवकाश मिल जाएगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि कमल नाथ की यह घोषणा सराहनीय है। सब जानते है कि पुलिस कर्मियों की संख्या बहुत कम है। ऐसे में पुलिस कर्मियों को साप्ताहिक अवकाश भी नहीं मिलता है। घर परिवार में शादी ब्याह होने पर छुट्टी भी मुश्किल से मिलती है। ऐसे में साप्ताहिक अवकाश की सुविधा देकर कमलनाथ ने एमपी के पुलिस कर्मियों को बड़ी राहत दी है। चूंकि राजस्थान में भी कांग्रेस की सरकार है इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि सीएम अशोक गहलोत भी अपने प्रदेश के पुलिस कर्मियों को राहत प्रदान करेंगे। हालांकि कमलनाथ तो पहली बार सीएम बने हैं, जबकि गहलोत तो पूर्व में दो बार सीएम का कार्य कर चुके हैं, ऐसे में कमलनाथ के मुकाबले अशोक गहलोत का प्रशासनिक अनुभव ज्यादा है। गहलोत भी पुलिस कर्मियों की समस्याओं से अवगत है। गत भाजपा के शासन में राजस्थान में जब पुलिस कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर थानों और पुलिस लाइन की मैस का बहिष्कार किया था, तब विपक्ष में रहते हुए गहलोत ने सहानुभूति जताई थी। अब चूंकि गहलोत सीएम बन गए हैं, इसलिए पुलिसकर्मियों को मांगे पूरी होने की उम्मीद है। फिलहाल गृह और वित्त विभाग गहलोत के पास ही हैं और पुलिस कर्मियों की मांगे भी इन्हीं दोनों विभागों से संबंधित है, इसलिए पुलिस कर्मियों को गहलोत से कुछ ज्यादा ही उम्मीद है। असल में मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कमलनाथ की सरकार तेजी से फैसले ले रही है। कमलनाथ के सामने पूर्व सीएम शिवराज सिंह च ौहान की लोकप्रियता भी है। कमलनाथ भी जानते है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 114 व भाजपा को 107 सीटें मिली है। ऐसे में जनता के काम तो जल्दी-जल्दी करने पड़ेंगे। जबकि राजस्थान में भाजपा सरकार की सीएम वसुंधरा राजे की लोकप्रियता शिवराज सिंह च ौहान जैसी नहीं रही। चुनाव में भी 200 में से कांग्रेस को 99 तथा भाजपा को मात्र 73 सीटें मिली है।
एस.पी.मित्तल) (02-01-19)
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